दांत डाइजेशन का पहला टूल हैं। टूटे हुए दांत या उनका खराब स्वास्थ्य चबाने की क्षमता को प्रभावित करता है और डाइजेशन की खराबी आपकी सेहत पर बुरा असर डालती है। इसके अलावा दांतों की खराबी मसूड़े की कमज़ोरी के साथ बोली और चेहरे की बनावट को प्रभावित करते हैं।
लेकिन दूसरी तरफ अगर मज़बूत दांत इन सारी समस्याओं को उलट कर आपकी सेहत के पहरेदार बन जाते हैं। मजबूत दांतों के लिए अगर दो बातों को रूटीन बना लिया जाए तो न सिर्फ अभी बल्कि बुढ़ापे में भी दांतों की मजबूती बरकरार रखी जा सकती है।
आज ज्यादातर लोग सुविधा के लिए फलों और सब्जियों का जूस पसंद करते हैं। हालांकि, दंत स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए फलों को सीधे काटना और चबाना अधिक महत्वपूर्ण है। एक पुरानी कहावत है कि चलते हुए दरवाजे पर कभी पतंगे नहीं लगते और बहता पानी कभी खराब नहीं होता।
शुरू से की गई देखभाल आपके दांतों की हिफाज़त की ज़िम्मेदारी लेगी और आपके दांत लम्बे समय तक आपका साथ देंगे।
इसके अलावा खाने पीने के बाद दांतों की सफाई बेहद ज़रूरी है। खाने के बाद मुँह में मौजूद ये कण सड़न पैदा करते हैं, जिसके नतीजे में दांत कमज़ोर होते हैं और जल्दी ही साथ छोड़ देते हैं। ये आदत बचपन से डाल दी जाये कि खाने के तुरंत बाद कुल्ला करना या ब्रश करना ज़रूरी है तो आपके दन्त भी लम्बे समय तक साथ निभाने की सेहत पा सकेंगे।
इसी तरह दांतों को मजबूत रखने के लिए उनका हिलना-डुलना जरूरी है और ऐसा करने का सबसे आसान तरीका है अपने दांतों को खोलना और बंद करना। अपने दांतों को खोलने और बंद करने से लार निकलती है, जो दांतों में मौजूद सूक्ष्म कणों को निगल जाती है। वे जाकर दांतों की सफाई में मदद करते हैं। दाँत। रोजाना सुबह 36 बार अपने दांतों को खोल बंद करने से भी मसूढ़ों को ताक़त मिलती है और ब्रश करने से होने वाली सफाई आपके दांतों को लम्बे से तक मज़बूती देगी।
याद रखिये कि मीठा आपके दांतों का सबसे बड़ा दुश्मन है। अगर आप ज़्यादा मीठे के शौक़ीन है तो आपको ज़्यादा चौकन्ना रहने की ज़रुरत है। वैसे तो सफाई इसका हल ज़रूर है मगर मीठा दांत को इतना ज़्यादा नुकसान पहुंचता है कि खाये जाने के दौरान से ही ये अपना बुरा असर फैलाना जारी कर देता है। इसलिए ज़रूरी है कि मीठे के शौक़ पर काबू पाने का भी हल निकाले।
शुरू से की गई देखभाल आपके दांतों की हिफाज़त की ज़िम्मेदारी लेगी और आपके दांत लम्बे समय तक आपका साथ देंगे।