एक नए अध्ययन में प्लास्टिक की बोतलों में रासायनिक अवयवों और टाइप 2 मधुमेह के खतरे के बीच संबंध का प्रमाण मिला है।
डायबिटीज जर्नल में प्रकाशित शोध में पाया गया कि प्लास्टिक की पानी की बोतलों सहित भोजन और पेय पैकेज बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला रसायन बिस्फेनॉल ए (बीपीए) शर्करा को नियंत्रित करने वाले हार्मोन इंसुलिन के प्रति शरीर की संवेदनशीलता को कम कर सकता है
शोध के ये निष्कर्ष, अमरीकन डायबिटीज एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक वैज्ञानिक सत्र में प्रस्तुत किए जाएंगे। साथ ही यह अमरीकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (ईपीए) से बोतलों और खाद्य कंटेनरों में बीपीए रसायनों के उपयोग को सीमित करने की सुरक्षित सीमा निर्धारित करने का आग्रह भी करते हैं।
अमरीकन डायबिटीज एसोसिएशन के वैज्ञानिक सत्रों में प्रस्तुत एक अध्ययन से पता चलता है कि बीपीए इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता को कम करता है, जिससे संभावित रूप से टाइप 2 मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है।
पिछले अध्ययनों से पता चला है कि प्लास्टिक और एपॉक्सी रेजिन बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला रसायन बीपीए, मनुष्यों में हार्मोन को बाधित कर सकता है। शोधकर्ताओं ने अमरीकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी द्वारा वर्तमान सुरक्षित बीपीए जोखिम मात्रा पर पुनर्विचार करने का आह्वान किया है, क्योंकि वर्तमान मानक पुराने हो सकते हैं।
हाल ही में इको-एनवायरनमेंट एंड हेल्थ नामक पत्रिका में प्रकाशित एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आने वाली प्लास्टिक की पानी की बोतलों से हानिकारक रसायन निकल सकते हैं।
इस संबंध में अमरीकन डायबिटीज एसोसिएशन (ADA) के मुख्य वैज्ञानिक और चिकित्सा अधिकारी रॉबर्ट गैबे कहते हैं- “यह जानकारी सार्वजनिक स्वास्थ्य सिफारिशों और नीतियों की आवश्यकता को उजागर करने की केवल शुरुआत है।”
गौरतलब है कि यह विषय अभी तक किसी भी पड़ताल से बचा हुआ था या कह सकते हैं कि पिछले किसी भी अध्ययन ने सीधे तौर पर इस रसायन और मधुमेह के बढ़ते खतरे की जांच नहीं की है।