इस्राईल की योजना या मूर्ख का सपनाः लेबनान पर होगा चौतरफ़ा हमला, शुरू में ही सैयद हसन नसरुल्लाह को बनाया जाएगा निशाना और निपटा दिया जाएगा युद्ध
इस्राईल जो इस समय अपने चारों ओर शिकंजा कसता देखा रहा है और उसे सांस लेने में घुटन महसूस होने लगी है कि अपनी असंभव मनोकामनाओं को स्ट्रैटेजिक योजना के नाम से पेश करके ख़ुश हो लेने की नाकाम कोशिश कर रहा है।
इस्राईल ने एसी ही योजना की घोषणा की है। तेल अबीब में उच्च स्तरीय सैनिक व इंटैलीजेन्स सूत्रों के हवाले से यदीऊत अहारोनोत अख़बार ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की है जिसमें कहा गया है कि वर्ष 2006 में जब इस्राईल ने लेबनान पर हमला किया था तो हिज़्बुल्लाह के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह की टारगेट किलिंग की योजना बना ली थी। इस योजना पर अमल करने की कई कोशिशें की गईं लेकिन एक बार भी इस्राईल को सफलता नहीं मिल सकी। 34 दिन तक जार रहने वाली लड़ाई में इस्राईल बार बार यह कोशिश करता रहा कि सैयद हसन नसरुल्लाह को निशाना बनाए मगर सुरक्षा और इंटेलीजेन्स दोनों ही पहलुओं से इस्राईल को मुंह की खानी पड़ी।
सूत्रों का कहना है कि इस्राईली सेना ने एक बार फिर योजना बनाई है कि वह लेबनान पर बड़ा हमला करे और उसे आशा है कि राजनैतिक नेतृत्व से उसे स्वीकृति मिल जाएगी मगर हालात को देखते हुए यह डर भी है कि राजनैतिक नेतृत्व स्वीकृति नहीं देगा क्योंकि युद्ध होने की स्थिति में उसे भारी जानी और माली नुक़सान का डर है। तेल अबीब के अधिकारियों का अनुमान है कि यदि हिज़्बुल्लाह से युद्ध हुआ तो हर दिन 3000 से लेकर 4000 तक मिसाइल इस्राईली बस्तियों पर गिरेंगे और इस्राईल का कोई भी इलाक़ा सुरक्षा नहीं बचेगा। वैसे भी हिज़्बुल्लाह के प्रमुख सैयद हसन नसरुल्लाह कह चुके हैं कि इस्राईल को अपंग बना देने के लिए सैकड़ों नहीं कुछ दर्जन मिसाइलों की ज़रूरत पड़ेगी। अर्थात यदि हिज़्बुल्लाह ने सटीक निशाना लगाने वाले अपने आधुनिक मिसाइलों का प्रयोग किया तो कुछ ही देर में इस्राईल के मूल प्रतिष्ठान ध्वस्त हो जाएंगे।
इस्राईली अधिकारियों को अच्छी तरह अंदाज़ा है कि उनकी लाख कोशिशों के बावजूद हिज़्बुल्लाह के मिसाइल भंडार बहुत बड़े बन चुके हैं। दक्षिणी लेबनान में मिसाइल निर्माण के भूमिगत कारख़ाने काम कर रहे हैं। दूसरी बात यह है कि सीरिया के युद्ध में हिज़्बुल्लाह को अपने कुछ लड़ाकों की क़ुरबानी भी देनी पड़ी है लेकिन इस आदोंलन के सैनिकों को लड़ाई का मूल्यवान अनुभव प्राप्त हुआ है।
इस्राईली सेना की आर्टिलरी युनिट के कमांडर जनरल कोबी बाराक ने कहा कि वर्ष 2018 में इस्राईल और हिज़्बुल्लाह के बीच युद्ध की संभावना बढ़ गई है कि लेकिन युद्ध से होने वाले भारी नुक़सान को देखते हुए यह लगता है कि इस्रराईल युद्ध की योजना पर अमल नहीं कर पाएगा।
इस्राईल ने जो योजना बनाई है उसके तहत युद्ध के शुरुआती दिनों में भी बड़े पैमाने पर ज़मीनी कार्यवाही की जाएगी और हिज़्बुल्लाह के प्रमुख सैयद हसन नसरुल्लाह को निशाना बनाने की कोशिश की जाएगी इसलिए इस्राईल के लिए इस युद्ध को जीतना आसान हो जाएगा।
मध्यपूर्व के मामलों के विशषज्ञों का कहना है कि हिज़्बुल्लाह आंदोलन इस समय इतनी बड़ी शक्ति बन चुका है कि इस्राईल और उसके समर्थकों सबको अच्छी तरह मालूम है कि हिज़्बुल्लाह को युद्ध में पराजित कर पाना कठिन है। इस्राईल के लिए सबसे बड़ी समस्या की बात यह है कि हिज़्बुल्लाह ने लेबनान के भीतर ही नहीं बल्कि पूरे क्षेत्र के स्तर पर अपने मज़बूत घटक तैयार कर लिए हैं जो केवल हिज़्बुल्लाह के लिए नहीं बल्कि ख़ुद अपनी आस्था और अपनी विचारधारा के तहत इस्राईल के विरुद्ध युद्ध पर विश्वास रखते हैं और उनका मानना है कि फ़िलिस्तीन की धरती पर ग़ैर क़ानूनी क़ब्ज़ा करके बनाया जाने वाला इस्राईल एक ग़ैर क़ानूनी शासन है। पश्चिम की साम्राज्यवादी शक्तियों ने पश्चिमी एशिया में अपनी नीतियों और साज़िशों को पूरा करने के लिए इस्राईल की स्थापना की है। क्षेत्र में जनमत के स्तर पर भी यह विचार बिल्कुल आम है कि इस्राईल को मिटा दिया जाना चाहिए और फ़िलिस्तीनियो को उनकी ज़मीन वापस मिलनी चाहिए।
इस समय इस्राईली शासन और फ़ोर्सेज़ की हालत यह हो गई है कि वह ख़ुद को डूबते हुए टापू की तरह देख रही हैं। क्योंकि फ़िलिस्तीन के भीतर भी प्रतिरोध की भावना सैनिक आप्रेशन का रूप धारण कर रही है। इसी लिए इस्राईली अधिकारी अमरीका की मदद से पश्चिमी एशिया के क्षेत्र में कोई नया संकट पैदा करना चाहते हैं ताकि वर्तमान हालात का रुख़ किसी तरह बदल दिया जाए मगर कोई भी कोशिश सफल होती दिखाई नहीं दे रही है। सीरिया संकट भी बहुत तेज़ी से समाप्त होता जा रहा है। यही कारण है कि इस्राईली अधिकारी इस प्रकार के बयान दे रहे हैं जिनसे उनका पागलपन साफ़ झलक रहा है।