सरकारी बताते हैं कि भारत ने पिछले साल तपेदिक यानि टीबी क़रीब 25 लाख 50 हज़ार मामले दर्ज किए गए है। ये संख्या 1960 के दशक में टीबी नियंत्रण कार्यक्रम की शुरुआत के बाद से सबसे अधिक है।
तपेदिक के कुल केस में वार्षिक आधार पर सर्वाधिक रोगी उत्तर प्रदेश से दर्ज किए गए। पिछले वर्ष की तुलना में यहाँ 21 फीसद वृद्धि देखने को मिली। दूसरे नंबर पर सबसे ज़्यादा वृद्धि वाला राज्य बिहार रहा जहाँ टीबी के मामलों में बीते वर्ष 15 प्रतिशत वृद्धि देखने को मिली।
वर्ष 2013 में तपेदिक के 38 हज़ार 596 मामले दर्ज किए गए थे। बीते नौ वर्षों में टीबी के मामलों में 64 फीसद वृद्धि के बाद वर्ष 2023 में इन मामलों की देश में संख्या 25 लाख 50 हज़ार पहुँच गई।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि बीते वर्ष देशभर में 24.2 लाख टीबी के केस दर्ज किए गए थे। साल 2023 में दर्ज किए गए टीबी के सभी मामलों में तक़रीबन 32 फीसद मरीज़ निजी स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र से थे।
बीते वर्ष रजिस्टर्ड 25 लाख 50 हज़ार मामलों में से 0.84 लाख निजी क्षेत्र से थे। ये पिछले वर्ष की तुलना में 17 प्रतिशत अधिक दर्ज किए गए।
गौरतलब है कि वर्ष 2013 में तपेदिक के 38 हज़ार 596 मामले दर्ज किए गए थे। वर्ष 2014 की अपेक्षा निजी क्षेत्र से आने वाले टीबी के मामलों में आश्चर्यजनक बढ़ोतरी हुई है। परिणाम स्वरुप बीते नौ वर्षों में टीबी के मामलों में 64 फीसद वृद्धि सामने आई है।
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— द वायर हिंदी (@thewirehindi) March 27, 2024
डब्ल्यूएचओ द्वारा प्रकाशित वैश्विक टीबी रिपोर्ट पर नज़र डालें तो साल 2023 में भारत में टीबी की घटना दर 2015 में 237 प्रति 100,000 जनसंख्या से 16% घटकर 2022 में प्रति 100,000 जनसंख्या पर 199 दर्ज की गई। इस अवधि में 2015 में टीबी से मृत्यु दर प्रति 100,000 जनसंख्या पर 28 से 18% घटकर 23 देखने को मिली।
इस रोग का सामना करने के लिए सरकारी कार्यक्रम के तहत टीबी रोगियों के वित्तीय बोझ को कम करने के लिए देश में सभी सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं पर रोगियों को निशुल्क जांच और निशुल्क इलाज की व्यवस्था की जाती है। साथ ही केंद्र निक्षय पोषण योजना के तहत टीबी रोग का इलाज कराने वालों को पोषण हेतु वित्तीय सहायता भी दी जाती है।