इस्लामाबाद। पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में दक्षेस (दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन) देशों के गृह मंत्रियों की बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि आतंकवाद पर लगाम लगाने के लिए सिर्फ आतंकवादियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करना ही पर्याप्त नहीं है बल्कि इसके लिए उन संगठनों,व्यक्तियों और देशों के खिलाफ भी कार्रवाई करने की जरूरत है, जो आतंक का समर्थन करते हैं।
राजनाथ सिंह ने दक्षेस सम्मेलन में कहा, न सिर्फ आतंकवादियों और संगठनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए बल्कि आतंकवाद का समर्थन करने वाले व्यक्तियों, संगठनों और राष्ट्रों के खिलाफ भी कार्रवाई होनी चाहिए। आतंकवाद और आतंकवादियों की केवल निंदा करना पर्याप्त नहीं है। कोई भी अच्छा आतंकवादी या बुरा आतंकवादी नहीं होता। आतंकवादियों का शहीदों के रूप में महिमामंडन या प्रशंसा नहीं की जानी चाहिए।
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के भाषण के बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नफीस जकारिया ने साप्ताहिक प्रेस ब्रीङ्क्षफग में फिर भारतीय सेना के खिलाफ बयानबाजी की। जकारिया ने भारतीय सेना पर आरोप लगाया कि वह कश्मीर में अत्याचार कर रही है, जिसमें कई कश्मीरी शहीद हो गए हैं और सेना द्वारा छर्रे इस्तेमाल करने से कई लोगों ने आंखों की रोशनी गंवा दी है। उन्होंने कहा कि कश्मीर अपना निर्णय खुद लेने के अधिकार के लिए संघर्ष कर रहे हैं। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान के आतंरिक सुरक्षा मंत्री द्वारा आयोजित मंत्रियों के लिए लंच का बहिष्कार कर दिया। इसके बाद लंच के आयोजक चौधरी निसार भी वहां से चले गए।
दक्षेस सम्मेलन को कवर करने की अनुमति केवल पाकिस्तान के राष्ट्रीय चैनल पीटीवी को थी, भारतीय मीडिया को भी कवरेज की इजाजत नहीं दी गई थी। पीटीवी ने अपने प्रसारण में राजनाथ का भाषण प्रसारित नहीं किया। माना जा रहा है कि सार्क सम्मेलन में राजनाथ सिंह के भाषण से खिन्न नवाज शरीफ सरकार ने तत्काल उनके भाषण को पाकिस्तान में प्रसारित करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। पाकिस्तान का असली चेहरा उस समय सामने आया जब उसने नवाज शरीफ का पूरे भाषण का प्रसारण किया।
गृह मंत्रियों के सम्मेलन में उस समय साफ तौर पर देखने को मिला, जब गृहमंत्री राजनाथ सिंह का अपने पाकिस्तानी समकक्ष चौधरी निसार अली खान से आमना-सामना हुआ। दोनों नेताओं ने बमुश्किल ही एक-दूसरे से हाथ मिलाए। जब सिंह सेरेना होटल में आयोजित सम्मेलन में पहुंचे तो खान वहां पदाधिकारियों का स्वागत करने के लिए दरवाजे पर ही खड़े थे। हाथ मिलाने के नाम पर दोनों नेताओं ने मुश्किल से एक दूसरे के हाथों को छुआ भर। यह औपचारिक तौर पर हाथ मिलाना भी नहीं था। इसके बाद सिंह सम्मेलन वाले हॉल की ओर बढ़ गए।