पर्थ: शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने पास की आकाशगंगा में पांच मिलियन सूर्यों से भी अधिक शक्तिशाली विस्फोट की बात कही है।
शोधकर्ताओं ने हमारी आकाशगंगा के पास कन्या (Virgo cluster) समूह का अध्ययन किया और बड़ी मात्रा में उत्सर्जित गैस देखी। यह उत्सर्जन इतना भारी है कि इसे एक किनारे से दूसरे किनारे तक जाने में 20,000 साल लगेंगे।
नज़र आने वाली तस्वीर ईएसओ के बहुत बड़े टेलीस्कोप से ली गई यह तस्वीर आकाशगंगा एनजीसी 4383 को एक अजीब तरीके से विकसित होती हुई कैद करती है। इसके मूल से गैस आश्चर्यजनक गति से बह रही है, जो आकाशगंगा से 200 किमी/सेकेंड से अधिक की औसत गति से निकल रही है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक़ उत्सर्जित गैस की मात्रा 50 मिलियन सूर्य से अधिक है। यह बाहर निकलने वाली गैस में हाइड्रोजन और धातुओं के बीच मिश्रण की जटिल प्रक्रिया का एक अनूठा दृश्य प्रस्तुत करती है।
अध्ययन के प्रमुख लेखक, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया विश्वविद्यालय में इंटरनेशनल सेंटर फॉर रेडियो एस्ट्रोनॉमी रिसर्च (ICRAR) के डॉ. एडम वाट्स ने कहा कि गैस उत्सर्जन आकाशगंगा के मध्य क्षेत्र में शक्तिशाली विस्फोटों के कारण होता है, जिससे बड़ी मात्रा में हाइड्रोजन और भारी तत्व निकलने की आशंका है।
Giant galactic explosion exposes galaxy pollution in action @RoyalAstroSoc https://t.co/fn1GcyLOBb
— Phys.org (@physorg_com) April 22, 2024
इसे नियंत्रित करने के लिए गैस का बाहर की तरफ बहाव (out flow) महत्वपूर्ण है। इन विस्फोटों से निकली गैस आकाशगंगा के भीतर तारों के बीच और यहां तक कि आकाशगंगाओं के बीच के स्थान को प्रदूषित करती है, और अंतरिक्ष माध्यम में हमेशा के लिए तैर सकती है।
डॉ. एडम वॉट्स ने कहा कि इन उत्सर्जनों की भौतिकी और अन्य गुणों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिल सकी है क्योंकि इनका पता लगाना बहुत मुश्किल है।
टीम ने इस विशेष मामले में ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, सल्फर और कई अन्य रासायनिक तत्वों का पता लगाया है। उन्होंने कहा कि यह गैस भारी तत्वों से भरपूर है। जिसमें ऑक्सीजन, नाइट्रोजन, सल्फर और अन्य रासायनिक तत्व शामिल हैं। उनके मुताबिक़ उत्सर्जित गैस की मात्रा 50 मिलियन सूर्य से अधिक है।
गौरतलब है कि इंटरनेशनल सेंटर फॉर रेडियो एस्ट्रोनॉमी रिसर्च (आईसीआरएआर) पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया की राज्य सरकार के समर्थन और वित्त पोषण के साथ कर्टिन विश्वविद्यालय और पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया विश्वविद्यालय के बीच एक संयुक्त उद्यम है। इसकी भूमिका दुनिया की सबसे बड़ी रेडियो वेधशाला – एसकेए वेधशाला (एसकेएओ) लो टेलीस्कोप के निर्माण में सहायता करना है।