बरेली। यहां के सुन्नी उलेमा ने तीन तलाक और यूनिफॉर्म सिविल कोड के मसले पर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के पक्ष में देशभर में आंदोलन का फैसला किया है। उनका आरोप है कि मोदी सरकार तीन तलाक का विरोध कर देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की साजिश रच रही है। आम लोगों को इस साजिश की जानकारी दी जाएगी। मोदी सरकार का विरोध होगा, उसी तरह जैसे इंदिरा गांधी के दौर में नसबंदी कानून का उलेमा ने विरोध किया था। triple talaq
दरगाह आला हजरत में उर्स-ए-नूरी की शुरुआत पर बैठक हुई। दरगाह के पूर्व सज्जादानशी और संरक्षक मुफ्ती अख्तर रजा खान ने बैठक के बाद बयान जारी कर तीन तलाक के खिलाफ केंद्र के रुख का विरोध किया। बयान में इसे यूपी चुनाव में लाभ लेने के लिए राजनीतिक हथकंडा बताया गया है। उलेमा का ये भी आरोप है कि कुछ लोग मुस्लिम महिलाओं को इस्लाम के खिलाफ बहका रहे हैं।
शरीयत में हस्तक्षेप कबूल नहीं
बयान में कहा गया है कि एक साथ तीन बार तलाक को एक तलाक मानने की केंद्र की दलील शरीयत में सीधा हस्तक्षेप है और इसे कबूल नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि कुरान और हदीस के मुताबिक तीन तलाक सैद्धांतिक तौर पर सही है, लेकिन एक ही सांस में इसे कहना इस्लाम में अच्छा नहीं माना गया है।
मुफ्ती सलीम नूरी बरेलवी ने कहा कि 1975 में इंदिरा गांधी के पीएम रहते नसबंदी कानून के खिलाफ भी दरगाह ने फतवा जारी किया था। इससे जबरदस्त विरोध हुआ और सरकार को झुकना पड़ा। ठीक उसी तर्ज पर अब मोदी सरकार के खिलाफ देशभर में आंदोलन होगा। उन्होंने ये आरोप भी लगाया कि मौजूदा केंद्र सरकार ने मुस्लिमों को मुश्किल में डाला है, लेकिन सेक्युलर पार्टियां तीन तलाक के मसले पर खामोश हैं। triple talaq
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