उत्तर प्रदेश सरकार ने छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति योजना की नई नियमावली को मंजूरी दे दी है। अब प्रदेश के अनुसूचित जाति व जनजाति के नवीं और दसवीं कक्षा के विद्यार्थियों को 3500 रुपये सालाना छात्रवृत्ति प्रदान की जाएगी।
यह व्यवस्था वर्ष 2025 से अनिवार्य की जाएगी। पहले ये छात्रवृत्ति 3000 रुपये थी। इसके अलावा भी एससी-एसटी छात्रों के लिए कई नियमों में बदलाव करते हुए उन्हें लाभकारी बनाया गया है।
केंद्र सरकार द्वारा नवीं और दसवीं के एससी-एसटी छात्रों की छात्रवृत्ति पहले ही बढ़ाई जा चुकी है। केंद्र सरकार की छात्रवृत्ति राशि को 3500 रुपये सालाना किया जा चुका है।
इन छात्रों को लाभ देने के लिए आयु सीमा का भी निर्धारण कर दिया गया है। अब 12 से 20 वर्ष की आयु सीमा के छात्र इस सुविधा का लाभ ले सकेंगे।
दसवीं कक्षा के बाद इस योजना का लाभ केवल वही छात्र ले सकेंगे, जिनके पिछली कक्षा में न्यूनतम 50 फीसदी अंक आए हों।
ऐसा पहली बार हुआ है जब एससी-एसटी छात्रों के साथ अस्वच्छ पेशे में सम्मिलित परिवारों के छात्रों को भी एक श्रेणी के तहत इस लाभ के दायरे में लाया गया है। इस योजना के तहत प्रत्येक वर्ष करीब 50 लाख से ज्यादा छात्र लाभान्वित होते हैं।
नई नियमावली के अनुसार दसवीं कक्षा से ऊपर की कक्षाओं में 40 साल से अधिक आयु के विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति और शुल्क भरपाई योजना का लाभ नहीं दिया जाएगा। यह भी ध्यान रखें कि शोध छात्रों पर यह आयु सीमा लागू नहीं होगी।
किसी भी अकादमिक पाठ्यक्रम जैसे बीए, बीएससी, बीकॉम की पढ़ाई बीच में छोड़कर उसी के समकक्ष अन्य व्यावसायिक पाठ्यक्रम जैसे बीटेक, एमबीबीएस आदि में दाखिला लेने पर योजना का लाभ दिया जाएगा। इसके लिए ज़रूरी है कि अन्य पाठ्यक्रम में वैधानिक प्रवेश परीक्षा के माध्यम से दाखिला लिया जाए। पिछली नियमावली के मुताबिक़ दूसरे पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने पर पहले वर्ष में लाभ नहीं मिलता था।
प्रवेश परीक्षा के बिना मैनेजमेंट कोटे में प्रवेश लेने वालों को छात्रवृत्ति या शुल्क भरपाई नहीं मिलेगी। इसके लिए चरणबद्ध तरीके से बायोमीट्रिक हाजिरी की व्यवस्था लागू की जाएगी। यह व्यवस्था वर्ष 2025 से अनिवार्य की जाएगी।