चूहों की तेज़ी से बढ़ती आबादी को दुनियाभर के कई शहरों में महसूस किया गया है। इससे जुड़ा खुलासा हैरान करने वाला है। शोधकर्ता इसका प्रमुख कारण ग्लोबल वार्मिंग और तेज़ी से होते शहरीकरण को बता रहे हैं।
चूहों की बढ़ती तादाद से स्वास्थ्य क्षेत्र में भी चिंताएं बढ़ी हैं। साइंस एडवांसेज पत्रिका में प्रकाशित एक शोध में कहा गया है कि चूहे 50 से अधिक बीमारियों के प्रसार का कारण हैं।
यह ऐसे संक्रमण वाले रोग हैं जो लोगों और जानवरों के बीच फैलते हैं। ये संक्रमण वायरस, बैक्टीरिया, परजीवी और कवक जैसे कीटाणुओं के कारण होते हैं। इनमें से कुछ जानलेवा भी होते हैं।
शोधकर्ताओं द्वारा अध्ययन के लिए 16 शहरों में से 11 में चूहों की संख्या में भारी वृद्धि दर्ज की गई। अध्ययन से पता चला है कि तापमान में बदलाव चूहों की आबादी में तेजी से बदलाव में बड़ी वजह है। जिन शहरों में औसत तापमान सामान्य से ज्यादा था वहां चूहों की संख्या में 40.7 प्रतिशत का इज़ाफ़ा पाया गया।
चूहों पर किए गए इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने 16 शहरों को चुना जिनमे से 11 में चूहों की संख्या में भारी वृद्धि दर्ज की गई। विश्व में चूहों से होने वाले नुकसान का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि ग्लोबल लेवल पर इन्हें नियंत्रित करने के लिए प्रत्येक वर्ष लगभग 500 मिलियन डॉलर खर्च होते हैं।
अध्ययन से पता चला कि चूहों की आबादी में तेजी से बदलाव में तापमान ख़ास भूमिका निभाता है। जिन शहरों में औसत तापमान सामान्य से ज्यादा था वहां चूहों की संख्या में 40.7 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। जबकि तापमान सामान्य से कम वाले शहरों में चूहों की संख्या में कमी पाई गई।
इन चूहों द्वारा केवल अमरीका साल भर में होने वाले नुकसान की कुल अनुमानित लागत लगभग 27 बिलियन डॉलर बताई गई है।
शोधकर्ताओं ने इस अध्ययन के लिए चूहों की दो प्रजातियों रैट्स नॉर्वेजिकस और रैट्स पर फोकस किया। ये वैश्विक रूप से सबसे ज़्यादा फैले हुए हैं साथ ही कृषि उपज और खाद्य आपूर्ति को भी सबसे अधिक नुकसान इन्ही से होता है।