लंदन: इंसानों ने प्लास्टिक के कचरे से ज़मीन और पानी दोनों ही को प्रदूषित कर दिया है। इससे होने वाले नुकसान जानलेवा साबित हुए हैं। अब वैज्ञानिकों ने पहली बार प्लास्टिक निगलने वाले जानवरों की मौत या बीमारी को एक नाम दिया है जिसे ‘प्लास्टिकोसिस’ कहा जाता है।
प्लास्टिक के ये सामान परिंदों से लेकर व्हेल तक के लिए जानलेवा हैं। प्लास्टिक भरे पेट के साथ अनगिनत मृत जलपक्षी पाए गए हैं। भूख से बेहाल ये पक्षी प्लास्टिक के टुकड़े निगल जाते हैं। प्लास्टिक के नुकीले हिस्से इसके शरीर में पहुँच कर अंगों को काट देते हैं। लेकिन मनुष्य श्रेष्ठ प्राणी होते हुए भी पर्यावरण के अनुकूल प्लास्टिक को छोड़ने को तैयार नहीं है।
विशेषज्ञों के मुताबिक जानवरों की 1200 से ज्यादा प्रजातियां प्लास्टिक से प्रभावित हैं। हालांकि प्लास्टिक की अत्यधिक मात्रा उनके लिए निश्चित रूप से घातक है, लेकिन जानवरों पर इसकी थोड़ी मात्रा के प्रभाव का अध्ययन किया जा रहा है और कुछ भी निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता है।
Researchers classify new 'plasticosis' disease caused by the ingestion of plastic by seabirds https://t.co/pTnuufZdH4
— ABC News (@abcnews) March 6, 2023
वर्तमान में पहली बीमारी ‘प्लास्टिकोसिस’ के रूप में सामने आई है, जिसमें प्लास्टिक निगलने वाले जानवरों में खरोंच और घाव हो जाते हैं और देर-सबेर मर रहे हैं। इस संबंध में ऑस्ट्रियाई विशेषज्ञों और लंदन के प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय के विशेषज्ञों ने दर्जनों मृत पक्षियों का ऑपरेशन किया है।
उन्होंने देखा कि पेट, डाइजेशन सिस्टम और यहां तक कि आसपास का मांस भी प्लास्टिक से प्रभावित हो रहा है और इस स्थिति को ‘प्लास्टिकोसिस’ नाम दिया गया है। इस पड़ताल के दौरान एक समुद्री बगुले के पेट में प्लास्टिक के 202 टुकड़े पाए गए।
इससे पहले कोयले की खदान में सिलिकॉन के संपर्क में आने वाले लोगों के लिए सिलिकोलिसिस नाम अपनाया था, और ‘प्लास्टकोसिस’ शब्द इसके आधार पर तय किया गया है।