कतर की एक अदालत ने भारतीय नौसेना के आठ पूर्व अधिकारियों को जासूसी का दोषी पाए जाने पर मौत की सजा सुनाई है।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी कतर की अदालत द्वारा मौत की सजा सुनाए जाने के फैसले पर हैरानी व्यक्त करते हुए इस की पुष्टि की है। सरकार इस फैसले को चुनौती देने की तैयारी भी कर रही है।
पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों को कतर के खिलाफ इज़राइल के लिए जासूसी करने के आरोप में 2022 में गिरफ्तार किया गया था। गिरफ्तारी के बाद इन सभी को जेल में डाल दिया गया था।
8 भारतीयों को कतर की अदालत ने सुनाई फांसी, विदेश मंत्रालय तलाश रहा कानूनी विकल्पhttps://t.co/xo8yDLejjc
— ThePrintHindi (@ThePrintHindi) October 26, 2023
इससे पहले अप्रैल में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस मुद्दे को उठाया था। उनका कहना था कि अगस्त 2022 से कतर में एकांत कारावास में रखे गए भारतीय नौसेना के 8 दिग्गजों को मौत की सजा का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है कि मोदी सरकार के नम्र समर्पण ने भारत को ‘विश्वगुरु’ बनाने के उनके लंबे दावों की पोल खोल दी है।
Indian Navy: कतर में दी गई भारतीय नौसेना के 8 पूर्व अफसरों को मौत की सजा, खरगे ने बताया था 'नम्र समर्पण'#IndianNavy #INDIA #MallikarjunKharge https://t.co/tknjX8cSOg
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कांग्रेस सहित सभी दल इस पर सरकार को घेर रहे हैं। कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने भी कहा है कि सरकार ने इस मुद्दे पर किये गए अनुरोध को कभी भी गंभीरता से नहीं लिया। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सभी पूर्व कर्मियों को वापस लाना चाहिए।
दूसरी तरफ भारतीय विदेश मंत्रालय का कहना है कि भारत के साथ ‘आरोपों को अब तक साझा नहीं किया गया है’। 30 अगस्त 2022 को कतर की खुफिया इकाई ने भारतीय नौसेना के आठ रिटायर्ड अफसरों को बिना कोई कारण बताए गिरफ्तार कर लिया था। इनमे कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर सुग्नाकर पकाला, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कमांडर अमित नागपाल, कमांडर संजीव गुप्ता और सेलर रागेश को गिरफ्तार किया गया था।