नई दिल्ली। उपराज्यपाल के तौर पर नजीब जंग के कार्यकाल जुलाई 2018 में ख़त्म होना था। उससे 18 महीने पहले ही उन्होंने इस्तीफा दे दिया। नजीब की नियुक्ति जुलाई 2013 में मनमोहन सरकार ने की थी। कांग्रेस ने बीजेपी और आप सरकार के बीच सीक्रेट डील को उनके इस्तीफे की वजह कहा है। हालांकि जंग की ओर से इस्तीफे की वजह पर्सनल बताई जा रही है, लेकिन वैसा है नहीं जैसा कहा रहा है। इस्तीफे की पटकथा तो 2 महीने पहले ही तय हो गई थी। इसमें आम आदमी पार्टी सरकार की भूमिका अहम है। दरअसल, एक नियुक्ति के मुद्दे पर जंग और केजरीवाल के बीच का विवाद दिल्ली हाई कोर्ट तक जा पहुंचा था। कोर्ट ने अगस्त में कमेंट किया कि “उपराज्यपाल ही दिल्ली के प्रशासनिक मुखिया हैं।” कोर्ट की टिप्पणी से केजरीवाल सरकार को तगड़ा झटका लगा था। Najeeb Jung
हालांकि, बाद में फैसले को केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और वहां उनकी ओर से उपराज्यपाल की व्याख्या की गई। बता दें कि उन्होंने ‘उपराज्यपाल’ को केंद्र सरकार का ‘कर्मचारी’ करार दिया था। केंद्र सरकार और उपराज्यपाल के बीच दिल्ली सरकार ने “मालिक और नौकर” जैसा संबंध भी बताया था। मामले में अभी फैसला नहीं आया है।
तो क्या दिल्ली सरकार के रवैये से आहात थे नजीब
सूत्रों की माने तो पूरी प्रक्रिया में नजीब निजी तौर पर आहत हुए और उन्होंने उसी वक्त इस्तीफे का मन बना लिया था। हालांकि, गुरुवार को केंद्र को भेजे इस्तीफे में उन्होंने लिखा कि वे पर्सनल वजहों से इस्तीफ़ा दे रहे हैं। उनके ओएसडी ने भी कहा, वे (जंग) परिवार को ज्यादा वक्त देना चाहते हैं, इसलिए इस्तीफा दिया। हालांकि इस्तीफे के बाद केजरीवाल ने भी हैरानी जताई है। बता दें कि नजीब ने अपने दो साल के कार्यकाल में केजरीवाल को सहयोग देने के लिए धन्यवाद कहा है। हालांकि यह चर्चा है कि वे दिल्ली सरकार और केजरीवाल के रवैये से आहत थे।
केजरीवाल-जंग के बीच लड़ाइयों के ये मुद्दे
1) केजरीवाल ने लगा दिया तख्तापलट का आरोप
दिल्ली के मुख्य सचिव केके शर्मा 10 दिनों की छुट्टी पर थे। उस वक्त शकुंतला गैमलिन को उपराज्यपाल ने कार्यकारी मुख्य सचिव के पद पर नियुक्त कर दिया। केजरीवाल के इनकार के बावजूद उन्होंने चार्ज भी ले लिया। इस मसले पर दोनों के विवाद सतह पर आ गए। नियुक्ति को लेकर दिल्ली सरकार ने नजीब जंग पर केंद्र के जरिए आप की सरकार का ‘तख्तापलट’ करने का आरोप लगाया। केजरीवाल कुछ अन्य मुद्दों पर भी नजीब पर केंद्र सरकार के इशारे पर काम करने का आरोप लगा चुके हैं।
2) जब एक ही राज्य में बन गए दो एसीबी चीफ
केजरीवाल और जंग के बीच विवाद के नतीजे उस वक्त बेहद दिलचस्प हो गए जब एक ही राज्य में एक साथ दो एसीबी (भ्रष्टाचार निरोधक शाखा) के चीफ बन गए थे। बता दने कि जहां केजरीवाल सरकार ने एसएस यादव को एसीबी चीफ अप्वाइंट कर दिया था वहीं उपराज्यपाल ने मुकेश मीणा को दिल्ली का एसीबी चीफ बना दिया था। बाद में यह विवाद किसी तरह सुलझा।
3) नियुक्तियों पर विवाद
सबसे अहम केजरीवाल सरकार द्वारा की गई तीन नियुक्तियां हैं, जिनको लेकर आप सरकार और जंग आमने-सामने आ गए। ये नियुक्तियां दिल्ली महिला आयोग की अध्यक स्वेता मालीवाल, टैक्स कमिश्नर के रूप में विजय कुमार और डीईआरसी चेयरपर्सन के रूप में कृष्णा सैनी की नियुक्ति का विवाद सबसे अहम है। नियमों का हवाला देकर नजीब ने कृष्णा सैनी को पद से भी हटा दिया था। केजरीवाल की करीबी मालीवाल को नियुक्ति नहीं दे रहे थे जबकि होम मिनिस्ट्री का हवाला देकर विजय कुमार को अधिकारमुक्त कर दिया था।