नई दिल्ली। बिहार और असम में बाढ़ से हालात बदतर बने हुए हैं। सोमवार को 15 मौतों के साथ दोनों राज्यों में बाढ़ से मरने वालों की संख्या बढ़कर 72 तक पहुंच गई। उधर, हिमाचल प्रदेश में भी जमकर बारिश हुई। लैंड स्लाइड से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। बारिश और लैंडस्लाइड से राज्य के छोटे-बड़े करीब 150 रास्ते बंद हो गए। मनाली, शिमला, नाहन और रामपुर नेशनल हाईवे बंद हो चुका है। 13 राज्यों में भारी बारिश हो रही है। कई राज्यों में लैंड स्लाइड की वजह से हिमाचल के टूरिज्म पर असर पड़ा है।
हाईवे और दूसरी सड़कें बंद होने की वजह से गाड़ियों का कई किमी लंबा तांता लगा रहा। कई घंटे लोग जाम में फंसे रहे। हिमाचल में सतलुज, व्यास, यमुना और उनकी सहायक नदियां उफान पर हैं। देशभर में 13 राज्य बाढ़ से प्रभावित हैं। असम में 21 जिलों के 2266 गांवों के करीब 17 लाख लोग बाढ़ प्रभावित। 463 राहत शिविरों में 18 जिलों के करीब डेढ़ लाख लोगों ने शरण ली हुई है। अब तक 31 मौतें हुई हैं। उत्तराखंड में जारी भारी बारिश के चलते गंगोत्री हाईवे 72 घंटों से बंद है। ओडिशा में पिछले दो दिनों में बिजली गिरने से अब तक 41 मौतें हुई हैं। बिहार में भी हालात खराब हैं। बिहार के 12 जिलों में 28.20 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हैं। यहां के कटिहार डिस्ट्रिक्ट में 12 लोगों की और मौत हो गई जिससे मरने वालों का आंकड़ा 38 हो गया है। नेपाल के तराई इलाकों में और भागलपुर के कहलगांव में गंगा खतरे के निशान के ऊपर बह रही है। उत्तराखंड में चारधाम यात्रा पर असर पड़ा है। उत्तराखंड में भी बारिश का कहर जारी है। देहरादून में टोंस नदी में डूबने से एक 20 साल के इंजीनियरिंग स्टूडेंट की मौत हो गई। राज्य में लैंडस्लाइड्स के चलते ट्रैफिक पर भी असर हुआ है। ऋषिकेश-बद्रीनाथ और ऋषिकेश गंगोत्री हाईवे पिछले चार दिनों से बंद है, चारधाम यात्रा प्रभावित हुई है। सोमवार को दिल्ली और उत्तर प्रदेश में भी जमकर बारिश हुई। हरियाणा के यमुनानगर में अलर्ट जरी किया गया है। भारी बारिश की वॉर्निंग की वजह से भोपाल कलेक्टर ने मंगलवार को स्कूलों को बंद रखने का ऑर्डर जारी किया।
आईटीबीपी जवानों ने खड़े किए हाथ, युवक ने तेज बहाव में कूदकर मछुआरे को बचाया। मध्य प्रदेश के शिवपुरी निवासी रिंकू ने भास्कर को बताया, रात नौ बजे यहां नदी के किनारे पुलिस, होमगार्ड के जवान और तहसीलदार पहुंच गए थे। बहाव बहुत तेज था। तहसीलदार ने आईटीबीपी से मदद मांगी तो जवान मौके पर पहुंचे। लेकिन उन्होंने भी बहाव में कूदने से इनकार कर दिया। मैं तैरना जानता था सो मनोज की जान बचाने के लिए जोखिम लेने को तैयार हो गया। रस्सी पकड़कर जैसे ही पानी में कूदा तो बहाव के कारण कुछ दूर बाद ही वह छूट गई। इसके बाद भी मैं तैरता हुआ किसी तरह टापू पर पहुंचा। मुझे देख गांव का पृथ्वी भी रस्सी की मदद से मनोज तक पहुंचा। मनोज तैरना नहीं जानता था, इसलिए लाइफ जैकेट जरूरी था। बाद में एक होमगार्ड जवान उसे लेकर टापू तक आया।