इलाहाबाद। आर्ट ऑफ लिविंग के प्रणेता और आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर को अयोध्या में रामजन्मभूमि मंदिर निर्माण की अगुवाई करने का नैतिक अधिकार नहीं है। यह बात मंगलवार को अखिल भारतीय अखाडा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी ने कहीं।
अध्यक्ष ने रविशंकर द्वारा अयोध्या में विवादित रामजन्मभूमि मंदिर का नेतृत्व करने की निर्मोही अखाडा द्वारा दी गई अनुमति का खंडन करते हुए कहा कि रविशंकर किसी अखाडे से संबंधित नहीं है और न ही उन्हें किसी अखाडे ने मंदिर मसले पर नेतृत्व करने की अनुमति दी है।
उन्होंने कहा कि उनका किसी भी अखाड़ा से कोई सरोकार नहीं है। उन्होंने कहा कि अयोध्या में विवादित रामजन्मभूमि मंदिर का नेतृत्व करने के लिए इससे जुडे साधु-महात्मा हैं। उन्होंने कहा कि यदि रविशंकर को निर्मोही अखाडे ने अयोध्या में विवादित राममंदिर का नेतृत्व करने की अनुमति दी है तो सामने आकर बताएं, अन्यथा उन्हें इस मसले से अपने को दूर रखना चाहिए। मामला न्यायालय में चल रहा है और हमें न्यायालय पर विश्वास है।
उन्होंने कहा कि कुंभ मेला 2019 को लेकर सभी 13 अखाडों के प्रतिनिधियों की 16 मार्च को कीडग़ंज में बैठक होगी। गिरी ने कहा कि कुंभ भारतीय संस्कृति की पहचान है। देश-विदेश से करोडों लोग कुंभ में बिना आमंत्रण और निमंत्रण के शामिल होते हैं। विदेशी भी भारतीय संस्कृति के कायल हैं।
विदेशी सैलानी यहां कई प्रकार की संस्कृति, भाषाओं और विविधताओं का भी साक्षी बनते हैं। उल्लेखनीय है कि आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर ने गत दिनों बरेली में अयोध्या में रामजन्मभूमि विवाद मसले पर कहा था कि गंगा जमुनी तहजीब बरकरार रखने के लिए दोनों पक्षों को न्यायालय से बाहर आकर मामले का समाधान निकालना चाहिए।