लखनऊ,: इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खण्डपीठ ने नोएडा के बजाय लखनऊ में फिल्म सिटी बनाए जाने के आग्रह वाली जनहित याचिका को याची की तरफ से वापस लिए जाने के आग्रह पर खारिज कर दिया है।
अदालत ने साथ ही याची को छूट दी है कि आगे जरूरत पड़ने पर याचिका फिर से दाखिल की जा सकती है।
याचिका का विरोध करते हुए सरकारी वकील ने अदालत को बताया कि अभी केवल फ़िल्म सिटी के लिए जगह की उपलब्धता मांगी गयी है। इस आधार पर याचिका प्रीमेच्योर है ।
यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय और न्यायामूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ ने बृहस्पतिवार को यूपी कलाकार एसोसिएशन की पीआईएल पर दिया। इसमें प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर में दूसरे फिल्म सिटी को बनाने संबंधी सरकार के कथित निर्णय को रद्द कर फिल्म सिटी को लखनऊ या वाराणसी में बनाने के निर्देश राज्य सरकार को देने की गुजारिश की गई थी।
याची एसोसिएशन के अधिवक्ता सी बी पांडेय का कहना था कि फिल्म सिटी को नोएडा की जगह लखनऊ में बनाया जाना ज्यादा उपयुक्त है, क्योंकि यहां कई संस्कृतिक व ऐतिहासिक जगहें हैं और लखनऊ में पहले भी कई फिल्में बन चुकी हैं। साथ ही यहां के कलाकारों के हित की भी दलील दी गई।
वकील पांडेय के मुताबिक राज्य सरकार की तरफ से कहा गया कि दूसरा फिल्म सिटी कहां बनना है, इसका निर्णय अभी नहीं लिया गया है। अभी सिर्फ इसके लिए जगह की उप्लब्धता के प्रस्ताव मांगे गए हैं। सरकारी वकील का कहना था कि ऐसे में अभी यह यह याचिका समय से पूर्व दाखिल की गई है जो प्रीमेच्योर होने की वजह से खारिज करने लायक है।
इसपर याची के वकील ने याचिका को वापस लेने और आगे नई याचिका दाखिल कर सकने की अनुमति दिए जाने का अनुरोध किया। जिसे मंजूर करते हुए अदालत ने वापस लिए जाने के आधार पर याचिका को खारिज कर दिया। साथ ही याची को छूट दी है कि मामले में आगे जरूरत पड़ने पर याचिका दाखिल की जा सकती है।