अमेरिका में बसे भारवंशियों ने बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने भारत में तंगहाली के शिकार ग्रामीण इलाके में मातृ और बाल मत्युदर को घटाने के लिए करीब 200,000 डॉलर जुटाए हैं। अमेरिकन इंडिया फाउंडेशन की ओर से आयोजित वार्षिक समारोह में ये फंड जुटाया गया।
रिपोर्ट के मुताबिक अनुमान लगाया गया है कि 2030 तक दुनिया में पांच साल तक के करीब सात करोड़ बच्चे ऐसी बीमारियों से मृत्यु का शिकार हो सकते हैं, जिनका इलाज मुमकिन है। जबकि करीब 17 करोड़ बच्चे गरीबी के कारण दम तोड़ सकते हैं।
यूनिसेफ की इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत का हाल ठीक नहीं है। भारत भी उन पांच देशों में शामिल है- जहां 2015 में हुयी बाल मौतों में से दुनिया का आधा आंकड़ा था। कॉन्गो, इथियोपिया, नाइजीरिया और पाकिस्तान अन्य देश हैं।
भारत में समय से पूर्व प्रसव और प्रसव काल से जुड़ी जटिलताएं बच्चों की मौत की सबसे बड़ी वजह बताई गई हैं। इनकी दर है 39 फीसदी। निमोनिया से करीब 15 फीसदी बच्चे, डायरिया से करीब 10 फीसदी और सेप्सिस से करीब आठ फीसदी बच्चे अकाल मृत्यु के शिकार बनते हैं। वैसे भारत में पांच साल से कम बच्चों में मृत्यु दर में गिरावट आई है। 1990 में प्रति हजार जन्मे बच्चों में ये संख्या 126 की थी। अब ये घटकर 48 रह गई है।