यूपी की गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीट पर बीजेपी को हराने के बाद गठजोड़ की सियासत तेज हो गई है. अब चर्चा है कि यूपी की कैराना सीट पर भी विपक्ष वैसी ही मोर्चेबंदी कर सकता है.
कैराना सीट बीजेपी सांसद हुकुम सिंह के निधन से खाली हुई है. अभी तक इस सीट के लिए चुनाव की तारीख का एलान नहीं हुआ है. कैराना से हिंदुओं के पलायन को बड़ा मुद्दा बनाने वाली बीजेपी के लिए यहां होने वाला लोकसभा उपचुनाव काफी अहम होगा. पूर्व बीजेपी सांसद हुकूम सिंह के निधन के बाद उनकी बेटी मृगांका को यहां से उम्मीदवार बनाए जाने की चर्चा है. यूं भी 2014 के बाद से इस सीट पर बीजेपी कमजोर ही हुई है.
2014 में हुकुम सिंह करीब ढाई लाख वोटों से जीते थे. 2017 के विधानसभा चुनाव में कैराना की 5 सीटों पर बीजेपी का वोट करीब 24 प्रतिशत कम हो गया. 2017 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने कैराना में जीत हासिल की थी.
कैराना सीट को लेकर एक और दिलचस्प बात सामने आ रही है. 9 मार्च को राष्ट्रीय लोकदल मुखिया चौधरी अजीत सिंह 2 दिवसीय दौरे पर शामली आये थे. उस वक्त से ही ये कयास लगाए जा रहे हैं कि जयंत चौधरी सपा बसपा के समर्थन से कैराना से विपक्ष का चेहरा हो सकते हैं.
जानकार फिलहाल इस संभावना से इंकार कर रहे हैं कि एसपी बीएसपी जयंत चौधरी को यहां से अपना उम्मीदवार बनाने के लिए तैयार होंगे. 2014 के लोकसभा चुनाव में आरएलडी को सिर्फ 4 प्रतिशत वोट मिले थे. जबकि एसपी बीएसपी को मिलाकर 33 फीसदी वोट मिले थे.