आज किसी भी स्मार्ट फोन में उतनी तस्वीरें कैद मिल जाएंगी जितने आकाश में तारे हुआ करते हैं। मगर एक वक़्त था कि फोटो खींचना भी एक खास अवसर होता था और इन तस्वीरों को बहुत सहेज कर अलबम में रखा जाता था।
फोटोग्राफी की कक्षा का पहला लेक्चर ही यही होता है कि एक चित्र हज़ार शब्दों के बराबर होती है। इसके महत्व के चलते इसी फोटोग्राफी को एक दिन समर्पित किया गया है।
हर साल 19 अगस्त को विश्व फोटोग्राफी दिवस मनाया जाता है। यह दिन उन लोगों के लिए बेहद खास होता है जो कहीं न कहीं इस प्रोफेशन से जुड़े हुए हैं। मगर जो इससे नहीं जुड़े हैं, उन्हें भी इस हुनर का एहसास दिलाने के लिए ये दिन महत्वपूर्ण है।
इंटरनेशनल फोटोग्राफी डे उन सभी फोटोग्राफर्स को समर्पित है जिन्होंने अपने हुनर से दुनिया के बेशुमार लम्हों को तस्वीरों में अमर कर दिया। ये तस्वीरें किसी उत्सव से भी जुड़ी होती है और किसी त्रासदी का भी बयान करती हैं।
इंटरनेशनल फोटोग्राफी डे का इतिहास
09 जनवरी 1839 को दुनिया की सबसे पहली फोटोग्राफी प्रक्रिया का आविष्कार हुआ। दो वैज्ञानिकों जोसेफ नाइसफोर और लुइस डॉगेर ने इस टेक्नीक का आविष्कार किया और उनके नाम पर प्रक्रिया को नाम मिला डॉगोरोटाइप।
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🗓️Date: August 19th, 2023 | 🕙 10 AM – 5 PM
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— Ministry of Information and Broadcasting (@MIB_India) August 19, 2023
फ्रांस सरकार ने डॉगोरोटाइप टेक्निक फोटोग्राफी टेक्निक के आविष्कार का ऐलान 19 अगस्त 1839 में किया। तबसे प्रत्येक वर्ष इस टेक्नीक की याद में 19 अगस्त को विश्व फोटोग्राफी दिवस मनाया जाता है। आधिकारिक तौर पर विश्व फोटोग्राफी डे मनाने की शुरुआत 2010 में हुई थी।
इसे मनाने के पीछे भी बड़ी दिलचस्प कहानी है। ऑस्ट्रेलिया के एक फोटोग्राफर ने अपने साथी फोटोग्राफरों के साथ इस दिन इकट्ठा होने और दुनियाभर में इसका प्रचार प्रसार करने का फैसला किया। इसके लिए उन्होंने अपने साथी फोटोग्राफरों के साथ मिलकर उनकी तस्वीरें ऑनलाइन गैलरी के जरिए लोगों के सामने प्रस्तुत कीं। लोगों को ये ऑनलाइन गैलरी खूब पसंद आई। तबसे डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए फोटोग्राफर अपनी कला का प्रदर्शन करने लगे। उस दिन से शुरू हुआ ये सिलसिला आज भी जारी है।