बिहार। बिहार के जीतनराम मांझी के पहाड़ को काट कर सडक़ बनाने के बाद बांका जिले की तीन गांवों की महिलाओं ने दो किलोमीटर तक की सडक़ बना डाली। उनकी हिम्मत और हौसले को सलाम किया जाएगा। यह बिहार सरकार के गाल पर एक तमाचा है।
मिली जानकारी के अनुसार, बिहार के बांका जिले के तीन गांव के ग्रामीणों की फरियाद पर सरकार के कान में जूं तक नहीं रेंगी। इस गांव में देश की स्वतंत्रता के बाद से कभी सडक़ नहीं बनी थी। बांका जिले के नीमा, जोरारपुर और दुर्गापुर के हजारों लोगों को सडक़ न होने से कई परेशानियों का सामना करना पड़ता था।
इसके बाद ग्रामीण महिलाओं ने स्वयं सडक़ बनाने का मानस बना लिया। कड़ी धूप ने भी उनके निश्चय को नहीं पिघला सका। महिलाओं ने अपने दम पर सिर्फ 3 दिनों में 2 किलोमीटर से ज्यादा लंबी सडक़ बना डाली। उन्हें पुरुषों का भी सहयोग मिला। कई लोग मौत के आगोश में इसलिए सो गए कि सडक़ नहीं होने के कारण उन बदनसीबों को अस्पताल तक नसीब नहीं हुआ था।
प्रशासन का कहना है कि पांच साल पहले सडक़ बनाने का प्रस्ताव लेकर कार्यवाही शुरू की थी । सडक़ के लिए भूमि अधिग्रहण करने का प्रयास किया था लेकिन भूमि मालिकों के विरोध के चलते काम बंद कर दिया । इसलिए सडक़ बनाने से पीछे ही हट गए। गांव की महिलाओं और बच्चों को सडक़ नहीं बनने से सबसे ज्यादा परेशानी होती थी। इसलिए महिलाओं ने इस कार्य को अंजाम दिया।