लंदन: एक वैश्विक अध्ययन के अनुसार, दुनियाभर में मोटापे से पीड़ित लोगों की संख्या एक अरब से अधिक हो गई है।
जहां एक तरफ दुनिया के कुछ देश कुपोषण का सामना कर रहे हैं और उन्हें भरपेट खाना नहीं मिल पा रहा वहीँ डाइट का बेतुका चलन कई देशों में मोटापे की समस्या बनकर महामारी का रूप ले चुका है।
जर्नल द लांसेट में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, 2022 के आंकड़ों के अनुसार, 15 करोड़ 90 लाख बच्चे और युवा जबकि 87 करोड़ 90 लाख बुजुर्ग मोटापे के शिकार हैं।
अध्ययन में प्रस्तुत आंकड़ों से पता चला कि वैश्विक स्तर पर, 1990 और 2022 के बीच, बच्चों और वयस्कों में मोटापे की दर में चार गुना इज़ाफ़ा हुआ है, जबकि वयस्कों में ये दर दोगुनी हो गई है।
इस बीच, अध्ययन से यह भी पता चला कि वैश्विक स्तर पर वयस्कों और बच्चों के बीच कम वजन की दर उसी अवधि के दौरान आधे से अधिक गिर गई।
शोधकर्ताओं ने कहा कि निष्कर्षों से पता चलता है कि मोटापे का सबसे बड़ा कारण कई देशों में खराब आहार का सबसे आम चलन है।
More than a billion people worldwide are obese, WHO study finds https://t.co/8EKCBe3wMt pic.twitter.com/w5AFTdeZjY
— Reuters (@Reuters) March 1, 2024
इंपीरियल कॉलेज लंदन के अध्ययन के वरिष्ठ लेखक प्रोफेसर माजिद इज़्ज़ती ने कहा कि यह काफी चिंताजनक है कि 1990 में दुनिया में जो महामारी वयस्कों तक सीमित थी, वह अब स्कूल जाने वाले बच्चों और युवाओं को प्रभावित कर रही है।
उन्होंने कहा कि साथ ही, हजारों लोग कुपोषण से पीड़ित हैं, खासकर दुनिया के सबसे गरीब इलाकों में। दोनों प्रकार की पोषण संबंधी समस्याओं का सफलतापूर्वक समाधान करने के लिए, स्वस्थ भोजन की उपलब्धता और सामर्थ्य बढ़ाने के उपाय आवश्यक हैं।