वरिष्ठ नेता शरद पवार ने विपक्षी दलों के गठबंधन- इंडिया के पीएम चेहरे पर बयान दिया है। उनका कहना है कि अगर कोई चेहरा पेश न भी किया जाए तो फर्क नहीं पड़ेगा।
1977 के आम चुनाव के हवाले से मोरारजी देसाई के प्रधानमंत्री बनने का जिक्र करते हुए शरद पवार ने कहा कि कोई चेहरा सामने नहीं रखने पर कोई परिणाम नहीं निकलता, ये धारणा सही नहीं है।
पूर्व केंद्रीय कृषिमंत्री तथा महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री रहे शरद पवार का मानना है कि अगर 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले इंडिया ब्लॉक में शामिल दलों की तरफ से प्रधानमंत्री पद के लिए उम्मीदवार घोषित नहीं किया जाए तो इससे कोई नुकसान नहीं होगा।
चुनाव में जनता को प्रमुखता देते हुए उनका मत था कि अगर जनता बदलाव के मूड में हैं, तो मतदाता बदलाव लाने के पक्ष में ही अपना फैसला सुनाएंगे। आगे उन्होंने कहा कि सत्ताधारी दल को चुनौती देने के लिए एक नई पार्टी अस्तित्व में आई है। ऐसे में कोई चेहरा सामने नहीं भी रखा जाए तो कोई नुकसान नहीं होगा।
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— Amar Ujala (@AmarUjalaNews) December 26, 2023
उन्होंने अपनी दलील में साल 1977 के चुनावों में, पीएम के लिए कोई चेहरा पेश नहीं किये जाने के बाद, मोराराजी देसाई के प्रधानमंत्री चुने जाने की बात कही। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि चुनाव से पहले देसाई के नाम पर किसी तरह की चर्चा नहीं हुई थी।
इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस के दल 2024 के लोकसभा की तैयारी में लगे हैं और विपक्ष राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को चुनौती देने के लिए प्रत्येक फ्रंट मज़बूत रखना चाहता है।
हाल में होने वाली इंडिया गठबंधन की चौथी बैठक में प्रधानमंत्री पद के चेहरे के रूप में कांग्रेस पार्टी के राष्ट्री अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का नाम सामने रखा गया था। इस नाम पर ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल ने समर्थन भी किया था।
नाम दिए जाने के बाद भी इस मामले में मल्लिकार्जुन खरगे की प्रतिक्रिया तटस्थ रही। उनका कहना था कि वह वंचितों के लिए काम करते रहेंगे। आगे उन्होंने कहा कि पहले जीत दर्ज करनी है, उसके बाद इन मुद्दों पर विचार किया जाएगा।