कैलिफोर्निया: एयरलाइन उद्योग हर साल हजारों टन ग्रीनहाउस गैसों को पृथ्वी के वायुमंडल में छोड़ने के लिए जाना जाता है, लेकिन एक नए अध्ययन में पाया गया है कि प्लास्टिक उद्योग इससे कई गुना बुरा और खतरनाक है।
कैलिफोर्निया की लॉरेंस बर्कले नेशनल लेबोरेटरी के वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन में कहा है कि प्लास्टिक उद्योग हर साल वायुमंडल में 2.5 अरब टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित करता है, जबकि एयरलाइन उद्योग एक अरब टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित करता है।
एयरक्राफ्ट प्रदुषण की रोकथाम के लिए काम भी किया जा रहा है। इजरायल की कंपनी पूरी तरह से बिजली आधारित एविएशन एयरक्राफ्ट बना रही है। इस 9 सीटर निजी विमान की रफ़्तार 400 किमी प्रति घंटा से 445 किमी तक होगी।
इसके अलावा यूरोपीय एयरक्राफ्ट मैन्युफैक्चरर एयरबस 2035 तक हाइड्रोजन से चलने वाले हवाई जहाज़ लॉन्च करने की योजना पर काम कर रही है। ग्लोबल कंसल्टिंग फर्म मैककिन्से के अनुसार, वर्ष 2050 तक वैश्विक हवाई यात्राओं में इनकी हिस्सेदारी 30 फीसदी से ज्यादा होने की उम्मीद है।
The plastics industry is a major contributor to climate change, releasing 4 times more planet-warming chemicals than the airline industry and the equivalent to 600 coal plants. https://t.co/GdWV43HhpD
— Climate Power (@ClimatePower) April 19, 2024
वैज्ञानिकों के मुताबिक, प्लास्टिक कचरे के बारे में ज्यादातर खबरें महासागरों या मानव शरीर में इसके प्रदूषण के बारे में होती हैं। लेकिन प्लास्टिक खतरनाक मात्रा में ग्रीनहाउस गैसों का भी कारण बनता है।
वैश्विक प्लास्टिक उत्पादन 600 कोयला आधारित बिजली संयंत्रों जितना पर्यावरण को प्रदूषित करता है।
अमरीकी सरकार द्वारा वित्त पोषित अध्ययन में शोधकर्ताओं ने कहा कि अधिकांश प्लास्टिक का उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है, जो जलवायु परिवर्तन संकट को तीन गुना कर देगा, जैव विविधता को नुकसान पहुंचाएगा और ग्रह को प्रदूषित कर देगा।
उद्योग विश्लेषकों के अनुसार, प्लास्टिक का उत्पादन 2050 तक दोगुना होने की उम्मीद है, जिसके कारण आने वाले दशकों में पर्यावरण पर प्लास्टिक का प्रभाव बढ़ेगा। अगर ऐसा हुआ तो बहुत संभव है कि इससे होने वाली ग्लोबल वार्मिंग से 38 हजार अरब डॉलर का नुकसान होगा।