संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान आज केंद्रीय कैबिनेट की अहम बैठक हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ विधेयक को मंजूरी दे दी है। शीतकालीन सत्र में अब केंद्र सरकार इसे सदन में पेश कर सकती है।
गौरतलब है कि ‘एक देश, एक चुनाव’ पर बनी कोविंद समिति की रिपोर्ट को केंद्रीय कैबिनेट द्वारा मंजूरी 18 सितंबर को मिल गई थी। इससे पहले 73वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले ‘एक देश एक चुनाव’ का विचार प्रस्तुत किया था। प्रधानमंत्री ने इसके लिए देश के एकीकरण की प्रक्रिया को हमेशा चलते रहने के हवाले से पेश किया था।
तब से भाजपा कई बार ‘एक देश एक चुनाव’ की बात दोहरा चुकी है। बताते चलें कि कुछ ऐसे राज्य भी है जिनमे लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराए जाते हैं। इनमें आंध्र प्रदेश सहित अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम जैसे राज्यों का नाम लिया जा सकता है।
भारतीय संविधान में लोकसभा तथा विधानसभा चुनाव पांच साल के अंतराल पर होते हैं। विभिन्न राज्यों की विधानसभा का कार्यकाल पूरा होने पर संबंधित राज्य में विधानसभा चुनाव कराया जाता है।
एक देश एक चुनाव का मुद्दा उठाने के बीचे सरकार इस पर होने वाले खर्च के आधार पर पेश कर रही है। साल 2018 में विधि आयोग के एक मसौदा रिपोर्ट में यह बात सामने आई थी। आयोग का कहना था कि 2014 में लोकसभा चुनावों का खर्च और उसके बाद हुए विधानसभा चुनावों का खर्च लगभग बराबर था। इसमें आगे कहा गया कि एक साथ होने पर चुनाव का खर्च 50:50 के अनुपात हो जाएगा।
पिछले सप्ताह भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा था कि केंद्र सरकार को ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ पहल पर आम सहमति बनानी चाहिए।
उन्होंने इस मुद्दे को राजनीतिक हितों से परे बताया। इस मुद्दे पर समिति की अध्यक्षता करने वाले कोविंद ने कहा- “केंद्र सरकार को आम सहमति बनानी होगी। यह मुद्दा किसी पार्टी के हित में नहीं बल्कि राष्ट्र के हित में है।
उनके अनुसार वन नेशन, वन इलेक्शन एक गेम-चेंजर होगा। आगे उन्होंने अर्थशास्त्रियों की राय इसमें जोड़ते हुए कहा कि इसके लागू होने के बाद देश की जीडीपी 1-1.5 प्रतिशत बढ़ जाएगी।