प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर नामांकन करने वाले तेज बहादुर यादव को बड़ा झटका लगा है. चुनाव आयोग ने बीएसएफ के पूर्व जवान की उम्मीदवारी को खारिज कर दिया है. यानी अब वह चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. तेज बहादुर यादव के नामांकन कागजों में गड़बड़ी पाई गई थी और उन्हें एक प्रमाण पत्र जमा करने को कहा गया था लेकिन वह नहीं कर पाए.
आपको बता दें कि तेज बहादुर यादव ने निर्दलीय वाराणसी से नामांकन किया था, लेकिन उसके बाद समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने उन्हें समर्थन किया था.
समाजवादी पार्टी ने अपनी प्रत्याशी शालिनी यादव की जगह तेज बहादुर यादव को अपना उम्मीदवार बना दिया था. हालांकि, शालिनी यादव ने बतौर निर्दलीय प्रत्याशी अपना नामांकन किया है. वाराणसी में अंतिम चरण यानी 19 मई को वोट डाले जाएंगे.
दरअसल, तेज बहादुर की उम्मीदवारी पर तलवार शुरुआत से ही लटकती दिख रही थी. उन्होंने दो हलफनामों में अपनी बर्खास्तगी से जुड़ी दो अलग-अलग जानकारी दी थीं. उन्होंने पहले निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में 24 अप्रैल को वाराणसी से नामांकन किया था. इसके साथ दिए गए हलफनामे में उन्होंने बताया था कि भ्रष्टाचार के आरोप के चलते सेना से उन्हें बर्खास्त किया गया.
लेकिन बाद में जब समाजवादी पार्टी का टिकट मिलने पर दोबारा नामांकन (29 अप्रैल) के वक्त तेज बहादुर ने जो हलफनामा दायर किया उसमें इस जानकारी को छुपा लिया गया.
वाराणसी के रिटर्निंग ऑफिसर ने इसी तथ्य को आधार बनाते हुए तेज बहादुर यादव से सफाई मांगी थी. सुबह 11 बजे तक अपना जवाब दाखिल करना था. संतुष्टी भरा जवाब ना देने पर उनकी उम्मीदवारी रद्द की गई. लकिन तेज बहादुर का आरोप है के उनको शाम तीन बजे कहा गया की कल सुबह ग्यारह बजे तक काग़ज़ी कार्यवाई पूरी करना थी, यादव के अनुसार यह मुश्किल काम था.उन्होने इलज़ाम लगाया की उनके साथ साज़िश की गयी है.
2017 में बीएसएफ जवान के तौर पर तेज बहादुर यादव चर्चा में आए थे. उन्होंने एक वीडियो जारी सेना के जवानों को दिए जाने वाले खाने की क्वालिटी पर सवाल खड़े किए थे, जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था. सेना की तरफ से अनुशासनहीनता का दोषी पाए जाने पर उन्हें बर्खास्त किया था. जिसके बाद से ही वह सरकार के खिलाफ बयान दे रहे थे और अंत में उन्होंने वाराणसी से पीएम के खिलाफ ही चुनाव लड़ने की ठानी.