भारत में प्रत्येक वर्ष 11 सितंबर को राष्ट्रीय वन शहीद दिवस मनाया जाता है। यह दिन उन लोगों की याद को समर्पित है जिन्होंने भारत के जंगलों, वनों और वन्यजीवों की खातिर बलिदान दिया है।
राष्ट्रीय वन शहीद दिवस की शुरुआत साल 2013 से हुई। इसे 1730 में हुए ऐतिहासिक खेजड़ली नरसंहारपर्यावरण से जोड़ा जाता है। वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने विशेष रूप से इस तिथि को तय किया गया।
इसे खेजड़ली नरसंहार के साथ जोड़कर देखा जाता है। राष्ट्रीय वन शहीद दिवस का इतिहास 11 सितंबर 1730 की एक ऐतिहासिक घटना से जुड़ा हुआ है, जिसे खेजड़ली नरसंहार के नाम से जाना जाता है।खेजड़ली नरसंहार शांतिपूर्ण विरोध के ज़रिए राष्ट्रीय आंदोलन और पर्यावरण कार्रवाई का एक प्रतीक है।
मारवाड़ साम्राज्य के महाराजा अभय सिंह ने खेजड़ी के पेड़ों को काटने का आदेश दे दिया। खेजड़ी के यह पेड़ बिश्नोई समाज के लोगों के लिए पूजनीय थे।
उस समय अमृता देवी बिश्नोई के नेतृत्व में इन लोगों ने पेड़ों को गले लगाते हुए उन्हें सुरक्षित रखने का प्राण किया और स्वेच्छा से अपनी जान दे दी। इस संघर्ष में 363 बिश्नोई लोगों ने अपनी जान गँवा दी।
जब महाराजा अभय सिंह को इसकी खबर मिली तो उन्होंने तुरंत पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी और भविष्य में बिश्नोई समुदाय के गांवों में पेड़ नहीं काटने का आदेश जारी किया। पेड़ों के संरक्षण के लिए खेजड़ली नरसंहार की घटना वन शहीद दिवस के इतिहास दर्ज हो गई।
खेजरली घटना से जुड़े वन शहीद दिवस के माध्यम से आज के दिन उन सभी लोगों को भी याद किया जाता है जिन्होंने भारत के जंगलों और वन्यजीवों की रक्षा में अपना जीवन दिया है।
राष्ट्रीय वन शहीद दिवस वन रक्षकों, रेंजरों और अन्य कर्मियों द्वारा दिए गए बलिदानों को सम्मान देता है। अपने कर्तव्य का पालन करते हुए इन लोगों ने अपनी जान गंवा दी।
राष्ट्रीय वन शहीद दिवस वनों के संरक्षण पर दिए बलिदानों की याद दिलाता है। वन पारिस्थितिकी तंत्र का महत्वपूर्ण भाग हैं। इसके सरंक्षण में विभिन्न प्रकार की प्रजातियां पलती हैं।
राष्ट्रीय वन शहीद दिवस वनों के संरक्षण के साथ उसकी उपयोगिता को भी दर्शाता है। आज भी वनों में होने वाले अवैध शिकार, कटाई और अतिक्रमण जैसी अवैध गतिविधियों के खिलाफ वनकर्मी और वन रेंजर तमाम जोखिमों को उठाते हुए इसकी रक्षा का दायित्व निभाते हैं।
आज का दिन यह सन्देश भी देता है कि वन संरक्षण का समर्थन कितना ज़रूरी है। लोगों को वृक्षारोपण अभियान में भाग लेने और उसका नेतृत्व करने के साथ पेड़ लगाने, वनों की रक्षा करने आदि के प्रति भी यह दिन जागरूकता फैलता है।