ईरान ने अपने यूरेनियम भंडार को तय सीमा से ज्यादा बढ़ा लिया है. उसका कहना है कि वह ऐसा परमाणु ऊर्जा के उत्पादन के लिए कर रहा है लेकिन विश्व को परमाणु हथियार की चिंता सता रही है.
पूरी दुनिया का ध्यान एक बार फिर इस ओर है कि आखिर ईरान परमाणु हथियार बनाने के कितने करीब आ चुका है? ऐसा तेहरान के उस बयान के बाद हुआ है जिसमें कहा गया कि उसने 2015 के परमाणु समझौते में यूरेनियम संवर्धन की तय सीमा से आगे बढ़कर उससे उच्च स्तर पर संवर्धन करना शुरू कर दिया है. हाल ही में ईरान ने कहा था कि देश संवर्धित यूरेनियम के भंडार को लेकर समझौते की सीमा को पार कर चुका है.
अमेरिका के एकतरफा तौर पर इस समझौते से अलग होने के बावजूद ईरान हमेशा कहता आया है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण है. हालांकि 2015 में ही एक ज्वाइंट कंप्रिहेंसिव प्लान ऑफ एक्शन के तहत ईरान के लिए तथाकथित “ब्रेकआउट टाइम” पर रोक लगा दी गई थी. ब्रेकआउट टाइम वह समय होता जिस दौरान तेहरान परमाणु बम बनाने के लिए पर्याप्त विखंडनीय सामग्री का उत्पादन कर पाता. मौजूदा हालात में ईरान को इसके लिए एक वर्ष की आवश्यकता होगी.
प्रतिबंधों में से एक का अर्थ यह था कि ईरान को केवल 3.67 प्रतिशत के स्तर तक यूरेनियम को जमा करने की अनुमति दी गई थी. ऐसा बिजली उत्पादन के लिए पर्याप्त है लेकिन परमाणु युद्ध के लिए आवश्यक भंडार से 90 प्रतिशत कम है. ईरान के परमाणु ऊर्जा संगठन ने बताया है कि 8 जुलाई को यह 4.5 प्रतिशत के स्तर तक चला गया था. ईरानी अधिकारियों ने संकेत दिया कि वे पांच प्रतिशत तक जा सकते हैं. उन्होंने कहा कि यह स्तर बुशहर में ईरान के एकमात्र परमाणु ऊर्जा स्टेशन के लिए ईंधन का उत्पादन करने के लिए आवश्यक है.
अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी, आईएईए के पूर्व इंस्पेक्टर रॉबर्ट केली ने कहा कि एक बार 3.67 प्रतिशत स्तर की सीमा पार हो जाने के बाद इससे भी ऊंचे स्तर तक संवर्धन करना आसान हो जाता है क्योंकि इस प्रक्रिया की शुरुआत में ही प्रयास लगता है. हालांकि उनका मानना है कि ईरान का 3.67 प्रतिशत से बढ़कर पांच प्रतिशत तक पहुंचना एक तरह से इस बात का सबूत है कि वे बम बनाने पर काम नहीं कर रहे हैं.
संयुक्त राष्ट्र परमाणु निगरानी संस्था, आईएईए ने 1 जुलाई को पुष्टि की थी कि ईरान ने ज्वाइंट कंप्रिहेंसिव प्लान ऑफ एक्शन के 300 किलोग्राम (660 पाउंड) समृद्ध यूरेनियम की भंडार सीमा को पार कर लिया है. हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ईरान बम के लिए पर्याप्त सामग्री एकत्र करना शुरू करता है तो इसमें मौजूदा भंडारण से कई गुना ज्यादा यूरेनियम की जरूरत होगी.
आईएईए के सुरक्षा उपायों के पूर्व प्रमुख ओली हाइनोनेन ने कहा, “इस समय यह निश्चित रूप से बहुत चिंता का विषय नहीं है, क्योंकि अभी भी काफी समय है.” हालांकि, उन्होंने आगाह किया कि अगर ईरान ने एक साल और जमा करना जारी रखा तो, तो वह करीब एक टन यूरेनियम इकट्ठा कर सकता है, जिससे हथियारों के उत्पादन में कम समय लगेगा.
ईरान ने जोर देकर कहा है कि परमाणु समझौते के अन्य पक्ष अगर उसे प्रतिबंधों से राहत प्रदान करते हैं तो अब तक घोषित सभी उल्लंघनों को बदला जा सकता है. ईरान ने कहा है कि अगर अन्य पक्षों के साथ कोई समझौता नहीं किया गया तो ज्वाइंट कंप्रिहेंसिव प्लान ऑफ एक्शनके तहत अपनी प्रतिबद्धताओं को कम करने का एक “तीसरा चरण” आने वाले महीनों में हो सकता है. एक कदम यह भी हो सकता है कि देश अपने सेन्ट्रिफ्यूजों (अपकेन्द्रण यंत्र) की संख्या में वृद्धि कर सकता है, विशेष रूप से इसके अधिक उन्नत मॉडलों जैसे आईआर-2एम में. ऐसे 1,000 से अधिक सेन्ट्रिफ्यूजों को नतांज से हटा कर ज्वाइंट कंप्रिहेंसिव प्लान ऑफ एक्शन के तहत भंडारण में डाल दिया गया था.
समझौते से पहले ईरान में विभिन्न प्रकार के लगभग 20,000 सेन्ट्रिफ्यूज थे और लगभग 8,000 किलोग्राम कम समृद्ध यूरेनियम था. इंस्टीट्यूट फॉर साइंस एंड इंटरनेशनल सिक्योरिटी के डेविड अलब्राइट के अनुसार, “यदि आईआर-2एम को फिर से तैयार किया गया, तो वे हथियार-ग्रेड यूरेनियम को समृद्ध करने के लिए लगने वाले आवश्यक समय को सात महीने कम कर सकते है.”