उत्तर-पश्चिम भारत के कई हिस्सों में बीते दो सप्ताह से गर्मी का प्रकोप चरम पर है। यहाँ गर्मी के चलते कुछ स्थानों पर पारा 42 से 44 डिग्री सेल्सियस के करीब पहुँच गया। मौसम विभाग के मुताबिक़ अगले एक दो दिन तक ऐसे ही हालात बने रहने की संभावना है।
इन इलाक़ों में लगातार लू चल रही है। जबकि विभाग का कहना है कि 12 अप्रैल के आसपास लू से मामूली राहत मिल सकती है। ये राहत अगले 4-5 दिन तक रहेगी। जबकि अगले 2 दिनों में पंजाब, दक्षिण हरियाणा-दिल्ली के कई इलाक़ों में लू गंभीर स्तर तक भी जा सकती है।
दिल्ली में रविवार को लगातार चौथे दिन लू का प्रकोप जारी रहने के कारण मौसम विभाग ने यहाँ सोमवार के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है।
मौसम बिभाग द्वारा मौसम संबंधी चेतावनी के लिए चार तरह के अलर्ट जारी किये जाते हैं। इनमे ग्रीन अलर्ट में किसी कार्रवाई की ज़रूरत नहीं होती। येलो अलर्ट में सतर्कता जबकि ऑरेंज अलर्ट में तैयार रहने को कहा जाता है। रेड अलर्ट जारी होने पर कार्रवाई करने की आवश्यकता होती है।
जानकारों के मुताबिक़ इस बार उत्तर-पश्चिम भारत के कई हिस्सों में बारिश के बगैर इस अत्यधिक तापमान के सात एक पखवारा बीत चुका है। जबकि आम तौर पर 4-5 दिनों के बाद कुछ प्री-मानसून बौछारों से हीट वेव स्पेल बाधित होता है।
मौसम विभाग के मुताबिक़ मैदानी इलाकों में लू उस समय घोषित की जाती है जब अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर और सामान्य से कम से कम 4.5 डिग्री सेल्सियस अधिक होता है। पारा सामान्य से 6.4 डिग्री सेल्सियस ज्यादा होने पर भीषण लू घोषित की जाती है।
मौसम विभाग के मुताबिक़ उत्तर पश्चिम भारत और मध्य भारत के आसपास के हिस्सों में अप्रैल में अधिक भीषण और निरंतर लू की स्थिति रहने का अनुमान है। मिली जानकारी के मुताबिक़ अप्रैल के पहले 10 दिनों में उत्तर पश्चिम भारत के कुछ हिस्सों में अधिकतम तापमान 45 डिग्री के ऊपर दर्ज किया गया है।
जानकारों के मुताबिक़ इस बार उत्तर-पश्चिम भारत के कई हिस्सों में बारिश के बगैर इस अत्यधिक तापमान के सात एक पखवारा बीत चुका है। जबकि आम तौर पर 4-5 दिनों के बाद कुछ प्री-मानसून बौछारों से हीट वेव स्पेल बाधित होता है।
प्री-मानसून सीजन की शुरुआत पहली मार्च से हुई, इस दौरान देश भर में 46% बारिश कम हुई है। उत्तर-पश्चिम भारत में 91% की कमी है, मध्य भारत पर 82%, दक्षिण प्रायद्वीप पर 2% और पूर्व और पूर्व व उत्तर भारत में कोई कमी नहीं है। रिपोर्ट के मुताबिक़ 36 अनुमंडलों में से 20 अनुमंडलों और 60% अनुमंडल क्षेत्रों में वर्षा में 60% से ज़्यादा की कमी दर्ज की गई है।