ग्लोबल वार्मिंग से वैश्विक खाद्य कीमतें बढ़ेंगी। शोधकर्ताओं का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग से सबसे अधिक प्रभावित देशों में बढ़ते तापमान का खाद्य कीमतों और मुद्रास्फीति पर अधिक प्रभाव पड़ेगा।
विशेषज्ञों और यूरोपीय सेंट्रल बैंक ने चेतावनी दी है कि वैश्विक तापमान में वृद्धि का असर पूरी दुनिया में, विशेषकर विकासशील देशों में खाद्य पदार्थों की कीमतों और मुद्रास्फीति पर पड़ेगा।
जर्नल कम्युनिकेशंस अर्थ एंड एनवायरनमेंट में प्रकाशित पत्र में कहा गया है कि ग्लोबल वार्मिंग और हीटवेव के कारण भविष्य में दुनियाभर में प्रभाव अलग-अलग होगा लेकिन हर जगह महसूस किया जाएगा, खासकर विकासशील देशों में।
इस नए अध्ययन के लिए, पॉट्सडैम इंस्टीट्यूट फॉर क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च और यूरोपीय सेंट्रल बैंक के शोधकर्ताओं ने 1996 और 2021 के बीच 121 देशों के ऐतिहासिक मूल्य और मौसम के आंकड़ों को आधार बनाया।
Global warming to raise food prices, inflation- Studyhttps://t.co/DEyDZrORr7
— Punch Newspapers (@MobilePunch) March 22, 2024
पीआईके रिपोर्ट के लेखकों में से एक मैक्सिमिलियन कोट्ज़ का कहना है कि उन्हें इस बात के पुख्ता सबूत मिले हैं कि उच्च तापमान, विशेष रूप से गर्मियों में, या गर्म स्थानों पर मुख्य रूप से खाद्य मुद्रास्फीति के साथ-साथ समग्र मुद्रास्फीति भी बढ़ती है।
कोट्ज़ के मुताबिक़, भविष्य में तापमान वृद्धि से खाद्य कीमतों और मुद्रास्फीति पर प्रभाव उन क्षेत्रों में सबसे अधिक महसूस किया जाएगा जो पहले से ही गर्म हैं। इनमे विशेष रूप से गरीब और दुनिया के विकासशील देश शामिल हैं।
अध्ययन में उन्होंने पाया कि जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते तापमान से 2035 तक दुनिया भर में भोजन की लागत हर साल 1.49 और 1.79 प्रतिशत अंक के बीच बढ़ने की भविष्यवाणी की गई है।
शोध से खुलासा हुआ है कि ग्लोबल वार्मिंग से लू, सूखा और बाढ़ बढ़ रही है, जो वैश्विक अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण क्षेत्रों कृषि और खाद्य उत्पादन को प्रभावित कर रही है। परिणामस्वरूप जैसे-जैसे तापमान बढ़ता है, वैश्विक बाज़ारों में खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ती हैं।