देश की नजर आज पेश होने जा रहे केंद्रीय बजट पर है। इस समय संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण अमृत काल में पहला बजट पेश कर रही हैं। वर्ष 2024 के आम चुनाव से पहले यह भाजपा सरकार का आखिरी पूर्ण बजट है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज वित्तीय वर्ष 2023-24 का आम बजट पेश कर रही हैं। बजट पेश करने से पूर्व
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री डॉ. भागवत किशनराव कराड, केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी और वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात की।
Union Budget 2023: बजट तैयार करने में इस ‘नवरत्न’ की भूमिका सबसे अहम, तय करेंगे देश का आर्थिक भविष्य#BudgetWithAmarUjala#budget #budget2023 #unionbudget #UnionBudget2023 https://t.co/dhilfdDyeU
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इससे पूर्व मंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण के साथ ही बजट सत्र की शुरुआत हो चुकी है। इस बजट में वित्त मंत्री कई राहत दे सकती हैं, लेकिन इसके साथ ही कुछ चीजों पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाने का भी ऐलान किया जा सकता है।
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत 2 लाख करोड़ रुपये केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जा रहा है। अंत्योदय योजना के तहत गरीबों के लिए मुफ्त खाद्यान्न की आपूर्ति को एक वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया है: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण pic.twitter.com/Elu1v9XC1Z
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लोकसभा चुनाव से पूर्व प्रस्तुत होने वाले इस बजट से सभी को उम्मीद है कि केंद्र सरकार आम चुनाव से पहले इस बजट में जनता को क्या विशेष देने जा रही है। मध्यवर्गीय परिवार भी वित्तमंत्री से अपनी सुविधा की आस लगाए बैठा है। महंगाई से परेशान मिडिल क्लास टैक्स छूट के मामले में भी उम्मीद कर रहा है। देशवासियों की मांग है कि 80c का दायरा बढ़ाकर 2 लाख रुपये तक किया जाए।
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मंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण के बाद आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 जारी किया जा चुका है। आर्थिक सर्वे में फाइनेंशियल ईयर 2023-24 के लिए रियल जीडीपी ग्रोथ 7 फीसदी रहने के संकेत दिए गए हैं जबकि नॉमिनल जीडीपी 11 फीसदी रह सकती है। आर्थिक सर्वे में वित्त वर्ष 2023-24 के लिए अनुमानित जीडीपी ग्रोथ रेट 6.5 फीसदी बताई गई है। बताया जा रहा है कि यह पिछले 3 साल में सबसे धीमी ग्रोथ होगी।
आर्थिक सर्वे में बताया गया है कि कोरोना के चलते दो साल मुश्किल भरे रहे और कोरोना के साथ महंगाई ने नीतियों पर असर डाला है। दूसरी ओर सप्लाई चेन ने महंगाई संकट बढ़ाया और सरकार ने इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च बढ़ाया है।