ताजा खुफिया दस्तावेजों ने पुष्टि की है कि चीन उइगुर मुस्लिम अल्पसंख्यकों को उनके धर्म और संस्कृति के कारण कैद कर रहा है. डीडब्ल्यू की ऐसे लोगों के रिश्तेदार से बात हुई जो शिनजियांग के रिएजुकेशन कैंपों में कहीं खो गए हैं.
इस्तांबुल के व्यस्त सुल्तान मूरत इलाके में संकरी सीढ़ियों का एक सिलसिला तेज रोशनी वाली बेसमेंट में पहुंचता है जो एक मस्जिद है. आमतौर पर लोगों का ध्यान इस तरफ नहीं जाता. नीचे एक छोटी सी बच्ची सफेद और सुनहरे खंभों के बीच दौड़ रही है. वहीं दर्जन भर लोग जिनमें से ज्यादातर ने सर्दियों वाला कोट पहन रखा है, हल्के नीले रंग के कालीन पर नमाज पढ़ रहे हैं.
ये सारे लोग उइगुर समुदाय के हैं. मुसलमानों का यह समुदाय पश्चिमोत्तर चीन में शिनजियांग उइगुर स्वायत्तशासी इलाके में रहता है. शिनजियांग में इन दिनों दोपहर की यह नमाज खतरनाक हो गई है. 2016 से ही चीन की सरकार उइगुर लोगों को गिरफ्तार कर कैंपों में रख रही है. आधिकारिक तौर पर इन कैंपों को वोकेशनल एजुकेशन ट्रेनिंग सेंटर कहा जाता है. पश्चिमी देशों में इन्हें “रिएजुकेशन कैंप” कहा जा रहा है.
इस्तांबुल में नमाज पढ़ रहे इन लोगों से जब पूछा गया कि उनमें से कितने लोगों के रिश्तेदार चीन की जेलों और कैंपों में हैं तो सबने हाथ उठा कर हां कहा. इन लोगों ने अपने स्मार्टफोन निकाल कर अपने रिश्तेदारों की तस्वीरें, आईडी कार्ड, बीवी, बच्चों और उन मां बाप की तस्वीरें दिखाईं, जो लापता हैं. एक दुबली पतली लड़की की तस्वीर दिखा कर एक शख्स ने कहा, “मैं नहीं जानता कि मेरी बेटी जिंदा है भी या नहीं.”
मस्जिद के इमाम ने डीडब्ल्यू से नाराज स्वर में कहा, “चीनी सरकार वहां पूरा नियंत्रण करना चाहती है और वहां रहने वाले लोगों को मिटाना चाहती है. वे उइगुरों को मारना और हमारी संस्कृति को खत्म करना चाहते हैं.”
कितने लोगों को कैद किया गया है, यह ठीक ठीक बता पाना मुश्किल है. अनुमान है कि शिनजियांग में रहने वाले एक करोड़ उइगुरों में से कम से कम 10 लाख लेग चीनी सरकार के बनवाई जेलों और कैंपों में कैद हैं.
इलाके से आ रही खबरों में बताया गया है कि कई लोगों को अनिश्चित काल के लिए वहां रखा गया है तो कुछ को लेबर कैंपों में ले जाया गया है. जिन लोगों को वापस लौटने की इजाजत मिली, उन्हें स्थानीय अधिकारियों की कड़ी निगरानी में रखा गया है और उनकी कहीं आने जाने की आजादी सीमित है.
चीनी अधिकारियों का कहना है कि “वोकेशनल ट्रेनिंग सेंटर” को “चरमपंथी विचारों” को फैलने से रोकने के लिए बनाया गया है और यहां “महत्वपूर्ण कुशलता” सिखाई जा रही है. कैंप में रखे जाने वाले लोगों का कहना है कि वहां विचारों को बदलने के लिए कठिन प्रशिक्षण दिया जाता है, साथ ही मंदारिन भाषा के कोर्स कराए जाते हैं.
हाल ही में बर्लिन की यात्रा पर आए चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा था कि कि कई गैरसरकारी संगठनों, पत्रकारों और राजनयिकों को शिनजियांग में जाने की अनुमति दी गई है. उनका यह भी कहना था कि इन लोगों ने वहां एक भी यातना शिविर या रिएजुकेशन कैंप नहीं देखा. वांग का कहना था, “शिनजियांग में कोई धार्मिक प्रताड़ना नहीं हो रही है.”
धर्म और संस्कृति के आधार पर चीन में गिरफ्तारी
चीन अपने आधिकारिक रुख पर डटा हुआ है लेकिन डीडब्ल्यू और जर्मन मीडिया पार्टनर एनडीआर, वेडेआर और ज्यूडडॉयचे साइटुंग को मिले कई दस्तावेजों से कुछ और ही कहानी सामने आती है. ये दस्तावेज दिखाते हैं कि चीन उइगुरों को उनकी धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए कैद कर रहा है, ना कि चरमपंथी गतिविधियों के लिए.
137 पन्नों के खुफिया दस्तावेजों में 2017 और 2018 में 311 लोगों के नाम और आईडी नंबर दर्ज हैं. इन मामलों में हिरासत में लिए गए लोगों के परिवारों के सदस्यों, पड़ोसियों और दोस्तों की भी विस्तृत जानकारी है. आमतौर पर ऐसा नहीं होता कि हिरासत में लिए गए किसी शख्स के बारे में इतनी जानकारी दी जाए. हिरासत में लिए गए लोगों के साथ करीब 1800 लोगों के पूरे नाम, आईडी और सामाजिक व्यवहार के बारे में जानकारी है. इनमें यह भी जानकारी दर्ज है कि कोई घर पर नमाज या कुरान पढ़ता है कि नहीं. सैकड़ों ऐसे लोगों के नाम भी इसमें दर्ज हैं जिनमें इस तरह की जानकारी नहीं है.
इस सूची में दर्ज सारे मामले काराकाक्स काउंटी के उइगुरों के हैं. यह इलाका दक्षिण पश्चिमी शिनजियांग होतान परफेक्चर में है जो भारत और तिब्बत की सीमा के पास है. हालांकि यह शिनजियांग प्रांत के एक बहुत छोटे से इलाके बारे में है लेकिन इन दस्तावेजों से पता चल जाता है कि अधिकारी उइगुरों के बारे में कितनी जानकारी जुटा रहे हैं. शिनजियांग में उनकी हर गतिविधि को सिक्योरिटी कैमरे और फेशियल रिकग्निशन वाले सॉफ्टवेयरों और मोबाइल ऐप के जरिए दर्ज किया जा रहा है.