भारत और पाकिस्तान के बीच कल हुए संघर्ष विराम का फैसला इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया है। 10 मई 2025 का दिन अब इन दोनों देशों के मध्य अस्थायी या स्थायी रोक के लिए याद किया जाएगा।
अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दोनों देशों के बीच हुए युद्धविराम पर लिखा- ‘मुझे भारत और पाकिस्तान के मजबूत और अडिग नेतृत्व पर बहुत गर्व है… मुझे गर्व है कि अमरीका आपको इस ऐतिहासिक और वीरतापूर्ण फैसले पर पहुंचने में मदद करने में सक्षम था। हालांकि, इस पर चर्चा भी नहीं हुई है, लेकिन मैं इन दोनों महान देशों के साथ व्यापार को काफी हद तक बढ़ाने जा रहा हूं। इसके अलावा, मैं आप दोनों के साथ मिलकर यह देखने के लिए काम करूंगा कि क्या ‘हजार साल’ के बाद कश्मीर के संबंध में कोई समाधान निकाला जा सकता है।’
सीजफायर का अर्थ है किसी भी संघर्ष पर विराम लगा देना। इसके लागू होने पर संघर्ष अस्थायी या स्थायी तौर पर रुक जाता है। इससे पहले भी कई अवसर आये हैं जब इन दोनों देशों के बीच सीज़ फायर या युद्ध विराम की घोषणा ने हालत को बिगड़ने से बचा लिया है।
आज़ादी के दो वर्षों बाद ही 1949 में यूएन के हस्तक्षेप के बाद कश्मीर पर एक सीजफायर लाइन बनाई गई थी। बटवारे के साथ ही 1947 में कश्मीर के लिए दोनों देशों के बीच युद्ध शुरू हो गया था। इस युद्ध को रोकने के लिए यूनाइटेड नेशन बीच में आना पड़ा। और इस तरह यूएन के हस्तक्षेप के बाद 1949 में भारत-पाकिस्तान ने अपनी सहमति से जम्मू-कश्मीर पर एक लाइन स्थापित की, जिसे सीजफायर लाइन माना गया। भारत और पाकिस्तान के तब के आर्मी चीफ ने इस लाइन पर सहमति बनाने के लिए मीटिंग भी की थी।
इसके बाद साल 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी के प्रयासों के नतीजे में सीजफायर का समझौता हुआ। यह समझौता नियंत्रण रेखा (LOC),अंतरराष्ट्रीय सीमा और सियाचिन ग्लेशियर पर लागू किया गया। यह सीज़ फायर 25 नवंबर 2003 को लागू हुआ। विदेश मंत्रालय से मिली जानकारी में कहा गया कि एक सप्ताह की बातचीत के बाद यह समझौता हुआ है। इस मीटिंग में दोनों देशों के सेना के बड़े अधिकारी शामिल थे। विदेश मंत्रालय के मुताबिक़, यह सीजफायर 450 मील लंबी एलओसी अंतरराष्ट्रीय सीमा और सियाचिन ग्लेशियर पर भी लागू हुआ।
वैसे तो दो देश अपनी सहमति के आधार पर भी सीज़ फायर का फैसला ले सकते हैं। इस युद्ध विराम के लिए हमेशा ही औपचारिक तौर पर किसी संधि की जरूरत नहीं होती है। लेकिन समझौता होने के बाद भी अगर कोई देश बॉर्डर पर अपनी सक्रियताएं बरक़रार रखता है तो इसे सीजफायर का उल्लंघन माना जाता है।
हालाँकि लाइन ऑफ कंट्रोल पर होने वाले बैरियर्स समझौते के अनुसार दोनों देशों की सरकारों ने इस बात पर भी सहमति जताई थी कि वे एक-दूसरे के खिलाफ दुष्प्रचार रोकने कोशिश करेंगी। इसके अलावा दोनों ही देश इंटरनेशनल बॉर्डर तैनात की गई सेना को हटा लेंगे।
भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सीजफायर समझौते में पाकिस्तान की तरफ से कई बार इस सीजफायर समझौते का उल्लंघन किया जा चुका है।
हालाँकि कल से सीज़ फायर के उलंघन की कई खबरे आ चुकी हैं मगर यह कहीं न कहीं दुष्प्रचार से जुडी होने के साथ कुछ शरारती लोगों की हरकत साबित हुई।
वर्ष 1990 में भारत ने एलओसी पर बैरियर्स लगाने शुरू किए मगर 1999 में फिर से दोनों देश युद्ध के लिए आमने-सामने आ गए।
बैरियर्स का काम साल 2004 तक पूरा हो गया। मगर पाकिस्तान ने बैरियर्स लगाने पर नाराज़गी जताई। पकिस्तान ने इसे रिश्ते बिगाड़ने वाला बताया।
नवंबर 2003 में भारत के विदेश मंत्रालय ने एक बड़ी घोषणा की। उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर का ऐलान किया। यह फैसला तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कोशिशों का नतीजा था।