नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश में बीजेपी को दो-तिहाई बहुमत के बाद सीएम चेहरे को लेकर रविवार को दिल्ली में बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक हुई. बैठक में यूपी के लिए पर्यवेक्षक के तौर पर वेंकैया नायडू और भूपेंद्र यादव के नाम पर मुहर लगी है. Bjp
इसके अलावा बीजेपी संसदीय दल की बैठक में फैसला लिया गया है कि 16 मार्च को यूपी के विधायक दल की बैठक होगी. उसी दिन यूपी के अगले सीएम की घोषणा भी होगी.
बीजेपी की पार्लियामेंट्री बोर्ड ने अमित शाह को अधिकृत किया है कि वे बाकी सदस्यों से बात करके मुख्यमंत्री का नाम तय करें.
माना जा रहा है कि आखिरी पसंद पर पीएम मोदी की रजामंदी के बाद ही मुहर लगेगी.
इस कड़ी में अमित शाह से आज राजनाथ सिंह से उनके आवास पर मुलाकात की. अमित शाह और राजनाथ सिंह के बीच मुकालात से क्या निकला, इसका अभी तक खुलासा नहीं हो पाया है.
वैसे राजनाथ सिंह के नाम भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल हैं. इससे पहले भी वो सूबे की कमान संभाल चुके हैं . कद्दावर नेता के साथ-साथ इनकी छवि-सुथरी है. हालांकि राजनाथ सिंह ने इस बारे में अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
सूत्रों के मुताबिक बीजेपी में फिलहाल यूपी में सीएम चेहरे के तौर पर दो नामों पर चर्चा चल रही है. जिन नामों की चर्चा है उनमें पहला नाम देश के गृह मंत्री राजनाथ सिंह का और दूसरा नाम बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य का है.
राजनाथ सिंह के नाम की चर्चा इसलिए भी जोरों पर है क्योंकि रविवार को अमित शाह और गृहमंत्री के बीच मुलाकात हुई थी. हालांकि मुलाकात का एजेंडा अभी तक साफ नहीं हुआ है पर कयास यही लगाए जा रहे हैं कि शाह वहां राजनाथ सिंह का पक्ष जानने गए थे.
बीजेपी यूपी में कोई रिस्क नहीं लेना चाहती इसीलिए सोच समझ कर कदम उठा रही है. यही वजह है कि पार्टी राजनाथ सिंह के नाम पर दांव खेलना चाहती है.
क्योंकि राजनाथ सिंह पार्टी के वरिष्ठ और मझे हुए राजनेता हैं. इसके अलावा राजनाथ सिंह पहले भी यूपी की सत्ता संभाल चुके हैं.
यूपी के अगले सीएम के तौर पर दूसरे नंबर चर्चा केशव प्रसाद मौर्य की है. यूपी में यह चुनाव बीजेपी ने केशव प्रसाद मौर्य के ही नेतृत्व में लड़ा था तो इस जीत का श्रेय उन्हें भी जाता है. ऐसे में बीजेपी उन्हें सीएम बनाकर यह संदेश भी दे सकती है कि ‘जो करेगा वो पाएगा’. केशव लंबे समय से संघ से जुड़े रहे हैं.
केशव प्रसाद मौर्य राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से बचपन से ही जुड़ गए थे. केशव संघ से बाल स्वयंसेवक के तौर पर जुड़े थे. बाद में केशव प्रसाद ने विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल के लिए भी काम किया है.
केशव प्रसाद विश्व हिन्दू परिषद के लिए 12 साल तक काम करते रहे, वे वीएचपी नेता अशोक सिंघल के खास माने जाते थे. अपने भाषणों के चलते अयोध्या और गौ रक्षा आंदोलन के वक्त केशव को जेल भी हो चुकी है.
आपको बता दें कि केशव प्रसाद मौर्य कौशांबी जिले के एक किसान घर में पैदा हुए हैं. उन्होंने अपना बचपन गरीबी में बिताया है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ही तरह केशव प्रसाद मौर्य ने भी अपने परिवार की मदद के लिए चाय बेची है और अखबार भी बांटे हैं. यह बात केशव को मोदी की छवि के बहुत पास ले जाती है.
केशव प्रसाद मौर्य को अमित शाह का खास माना जाता है. यही वजह है कि यूपी के कई वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी के बावजूद पार्टी की बागडोर उनके हाथों में आई. आपको बता दें कि केशव प्रसाद मौर्य 2012 के विधानसभा चुनावों में इलाहाबाद की शिराठु विधानसभा सीट से विधायक चुने गए थे.
2014 में वे फूलपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए. अप्रैल 2016 में केशव प्रसाद मौर्य को 2017 में विधानसभा चुनावों को जीतने की जिम्मेदारी देते हुए यूपी बीजेपी की सत्ता सौंपी गई.