एक बार फिर पुरातत्वविदों ने तुर्की के प्राचीन ऐतिहासिक शहर हतुसा के खंडहरों में एक नई भाषा की खोज की है।
वैसे तो तुर्की में कई ऐतिहासिक इमारतें और स्मारक पाए जाते हैं जो अभी भी दुनिया के लोगों की नजरों से छिपे हुए हैं। इसी क्रम में जारी तलाश के तहत पुरातत्वविदों के हाथ जानकारी का यह नया खज़ाना लगा है।
हतुसा शहर प्राचीन काल में हित्ती साम्राज्य (Hittite Empire) की राजधानी था। यह प्राचीन साम्राज्य कांस्य युग के अंत में अपने युग की महाशक्ति था, जिसका साम्राज्य अनातोलिया से लेकर उत्तरी सीरिया और पश्चिम में एजियन और पूर्व में यूफ्रेट्स तक फैला हुआ था।
पुरातत्वविदों ने हतुसा के खंडहरों की खुदाई के दौरान अनातोलियन इतिहास, परंपराओं और समाज का विवरण देने वाली लगभग 30,000 क्यूनिफॉर्म पट्टिकाएं (एक मिट्टी की पट्टिका जिस पर प्राचीन काल में लिखा गया था) की खोज की है। वर्तमान में, पुरातत्वविदों द्वारा खोजी गई अधिकांश पट्टिकाएं हित्ती भाषा में लिखी हुई हैं, जो सबसे पुरानी इंडो-यूरोपीय भाषाओं में से एक है।
New Indo-European Language Discovered at Boğazköy-Hattusha https://t.co/DIg27SixTf @dai_weltweit @AVA_Wue @istanbuledutr pic.twitter.com/s80wbfA81R
— Yale Classics Lib (@YaleClassicsLib) September 25, 2023
हालाँकि विशेषज्ञों को पता नहीं है कि इन विशेष क्यूनिफॉर्म पट्टियों पर क्या लिखा था, उन्होंने पुष्टि की है कि यह भाषा अनातोलियन इंडो-यूरोपीय भाषाओं के परिवार, इंडो-यूरोपीय भाषाओं में बोली जाने वाली एक भाषा है। यह एक बड़ा परिवार है जिसमें कई आधुनिक देश जैसे यूरोप और भारतीय उपमहाद्वीप शामिल हैं।
पुरातत्वविदों का मानना है कि प्रोटो-इंडो-यूरोपीय भाषा की उत्पत्ति संभवतः काला सागर के आसपास हुई थी, जो अब दक्षिणी यूक्रेन है।