एक नए अध्ययन में पाया गया है कि स्ट्रीमिंग सर्विस नेटफ्लिक्स अपनी स्ट्रेंजर थिंग्स और स्पाइडर-मैन जैसी सीरीज़ में युवाओं के सामने आने वाली समस्याओं को महत्वहीन बना रहा है।
नेटफ्लिक्स फिल्मों और टीवी शो के 60 घंटे से अधिक के अध्ययन के बाद, बाथ विश्वविद्यालय और कैलगरी विश्वविद्यालय के मनोवैज्ञानिकों ने निष्कर्ष निकाला कि श्रृंखला में युवा किरदारों के कष्टों का चित्रण गुमराह करने वाला है।
नेटफ्लिक्स पर शारीरिक आघात को आमतौर पर केवल हिंसा या चोट (जैसे हमला या दुर्घटना) के रूप में दिखाया जाता है। जबकि वास्तविक दुनिया में, सिरदर्द, पीठ दर्द और कैंसर जैसी बीमारियाँ पीड़ा के अधिक वास्तविक रूप हैं।
जर्नल पेन में प्रकाशित शोध में मनोवैज्ञानिक पीड़ा के बजाय केवल शारीरिक समस्या का अध्ययन किया गया। अध्ययन में शोधकर्ताओं ने 12 से 18 साल के युवाओं पर शोध किया तथा नेटफ्लिक्स द्वारा बनाए गए विभिन्न शो में दर्शाए गए पात्रों की पीड़ा की जांच की गई है।
कुल 16 प्रस्तुतियों में 732 दर्दनाक घटनाएँ देखी गईं और इनमे से अधिकांश (करीब 57 प्रतिशत) मामले क्रोनिक या चिकित्सकीय चोट के बजाए हिंसा या चोट से जुड़ी पीड़ा पर आधारित थे।
Netflix trivialising teenagers’ pain? New study from our @drabbiejordan suggests it is. Time for menstrual pain and back pain to be shown alongside violent pain in the media we consume. https://t.co/W90scPfvFR pic.twitter.com/HESkrMidgY
— University of Bath News (@UniofBathNews) March 28, 2024
बाथ विश्वविद्यालय (University of Bath) में मनोविज्ञान विभाग की डॉ. एबी जॉर्डन इस सम्बन्ध में कहती हैं- यदि उस प्रकार की बीमारियाँ जिनसे युवा लोग आमतौर पर पीड़ित होते हैं, जैसे पीठ दर्द या सिरदर्द, अगर इन्हे नहीं दिखाया जा रहा है तो इसका मतलब है कि उस पीड़ा को तुच्छ बताया जा रहा है।
उनका मानना है कि युवाओं की पीड़ा से निपटने के लिए, इसके बारे में बात करने के लिए और अगर किसी और को दर्द हो रहा है तो हमदर्दी कैसे ज़ाहिर करें, यह सब सिखाने में हम बिल्कुल भी पर्याप्त काम नहीं कर रहे हैं।
कैलगरी विश्वविद्यालय में शोध का नेतृत्व करने वाली मनोविज्ञान विभाग की डॉ मेलानी नोएल बताती हैं कि यह शोध क्यों मायने रखता है। उनका कहना है कि मीडिया बच्चों के विकास पर प्रभाव डालने वाले सबसे शक्तिशाली साधनों में से एक है और इसका उपयोग दुनिया में दर्द और पीड़ा को दूर करने के लिए किया जा सकता है। आगे वह कहती हैं कि कहानियां मायने रखती हैं। कुछ मामलों में काल्पनिक कहानियाँ वास्तविक जीवन की कहानियों से अधिक मायने रखती हैं। ऐसे में वह उस दुनिया को प्रतिबिंबित करने के लिए कहानियां बनाने की बात करती है जिसमे मानवीय, विविध, समावेशी, न्यायसंगत, दयालु और देखभाल करने वाली दुनिया नज़र आये।
क्योंकि नेटफ्लिक्स प्रोडक्शंस के निशाने पर आमतौर पर युवा होते हैं, ऐसे में विशेषज्ञ स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म पर युवाओं को दया और करुणा सिखाने पर जोर देने के लिए इन प्लेटफार्म से कष्टों और समस्याओं दर्द को प्रतिबिंबित करने के तरीके को बदलने की बात कह रहे हैं।