सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को “मोदी उपनाम” टिप्पणी से जुड़े आपराधिक मानहानि मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की सजा पर रोक लगा लगते हुए संसद सदस्य के रूप में उनकी सदस्य्ता को बहाल कर दिया।
शीर्ष अदालत में ट्रायल के दौरान जज राहुल की दो साल की अधिकतम सजा के पक्ष में कोई हवाला नहीं दे सके साथ यह भी कहा गया कि अयोग्यता से न केवल राहुल गांधी बल्कि उनके निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताभी प्रभावित होंगे।
सुप्रीम कोर्ट में मोदी उपनाम टिप्पणी से जुड़े मानहानि मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की याचिका पर बड़ी राहत देते हुए कांग्रेस नेता की दोषसिद्धि पर रोक लगा दी है।
हालाँकि शीर्ष अदालत ने राहुल गाँधी यह चेतावनी दी है कि इस तरह टिप्पणी करते समय उन्हें अधिक सावधान रहना चाहिए था।
कांग्रेस नेता को इस मामले में 23 मार्च को सूरत कोर्ट ने दोषी करार देते हुए उन्हें दो साल की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद 24 मार्च को राहुल की संसद सदस्यता चली गई थी।
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी की उस याचिका पर सुनवाई की, जिसमें उन्होंने गुजरात हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी। राहुल गाँधी की “मोदी सरनेम” वाली टिप्पणी पर मानहानि मामले में उनकी सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया गया था।
इससे पहले सात जुलाई को गुजरात हाईकोर्ट ने राहुल गांधी की सजा पर रोक की मांग वाली याचिका खारिज कर दी थी।
इस साल की शुरुआत में राहुल गांधी को पीएम मोदी से जुड़ी उनकी टिप्पणियों के लिए सांसद के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था
सुप्रीम कोर्ट में राहुल गांधी की ओर से पेश हुए अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, ‘राहुल गांधी ने अपने भाषण में किसी का नाम नहीं लिया।’
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— Amar Ujala (@AmarUjalaNews) August 4, 2023
इस बीच, शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी ने तर्क दिया कि पूरा भाषण 50 मिनट से अधिक का था और भारत के चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में भाषण के ढेर सारे सबूत और क्लिपिंग संलग्न हैं।
राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराने वाले भाजपा विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने का आरोप था कि राहुल ने अपनी इस टिप्पणी से समूचे मोदी समुदाय की मानहानि की है।
जेठमलानी का कहना है कि राहुल गांधी ने द्वेषवश एक पूरे वर्ग को बदनाम किया है। राहुल गाँधी के खिलाफ आईपीसी की धारा 499 और 500 (मानहानि) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
दलीलों का जवाब देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सजा का असर निर्वाचन क्षेत्र पर भी पड़ रहा है।