चीन विदेशी खिलाड़ियों के सहारे फुटबॉल की दुनिया में बादशाहत हासिल करने का सपना देख रहा है। इसके लिए वह यूरोपीय खिलाड़ियों को अपने देश की नागरिकता भी दिला रहा है ताकि वे उनकी राष्ट्रीय टीम से खेल सकें। इसके लिए वह विदेशी खिलाड़ियों पर काफी पैसा भी खर्च कर रहा है।
छाने को बेताब : रूस में हुए पिछले फीफा विश्व कप में यूं तो चीन की टीम ने हिस्सा नहीं लिया था, लेकिन प्रायोजक से लेकर सामान तक सब ‘मेड इन चाइना’ ही था। अब उसकी निगाहें मजबूत टीम तैयार कर फुटबॉल में दबदबा बनाने की है। 2026 फीफा विश्व कप में 48 टीमें खेलेंगी और चीन इसमें खेलने को कमर कस चुका है। इसके अलावा, वह 2030 में विश्व कप की मेजबानी का दावा पेश करने की भी तैयारी कर रहा है।
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सिर्फ एक बार शिरकत : चीन ने सिर्फ एक बार 2002 विश्व कप में शिरकत की है और उसकी टीम कोई गोल नहीं कर सकी थी। वर्तमान फीफा रैंकिंग में चीन की टीम दुनिया में 73वें स्थान पर है।
नीको ने ब्रिटिश नागरिकता छोड़ी
इसी साल की शुरुआत में ब्रिटेन के नीको येनारिस ने चीन की नागरिकता ले ली। इस 26 वर्षीय खिलाड़ी ने अपना नाम भी बदलकर ली के रख लिया। येनारिस की मां चीनी हैं। आर्सेनल एफसी यूथ एकेडमी में फुटबॉल के गुर सीखने वाले येनारिस अब फीफा विश्व कप क्वालीफायर मुकाबलों में चीन की ओर से खेलने को तैयार हैं।
जॉन भी जुड़े
इसी तरह जॉन होयू सेटर ने नॉर्वे की नागरिकता छोड़कर चीनी पासपोर्ट अपना लिया है। उनकी मां भी चीनी मूल की हैं। चीन ऐसे खिलाड़ियों को भी अपनी नागरिकता दे रहा है, जिनकी रगों में चीनी खून नहीं है। पुर्तगाल की ओर से फीफा अंडर-20 विश्व कप खेलने वाले पेड्रो डेल्गाडो पहले ऐसे खिलाड़ी हैं, जिनके परिवार का कोई संबंध चीन से नहीं है। इसके बावजूद उन्हें चीन की नागरिकता मिली। ब्राजीली मिडफील्डर रिकार्डो गॉउलार्ट और उनके साथी एल्केसन जल्द ही चीनी नागरिक बन सकते हैं।