नई दिल्ली: मालेगांव ब्लास्ट केस में कर्नल पुरोहित की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को नोटिस जारी किया है. इसमें सुप्रीम कोर्ट ने चार हफ्ते में जवाब मांगा है. कर्नल पुरोहित ने अपनी जमानत अर्जी में कहा है कि जिस तरह बांबे हाई कोर्ट ने मालेगांव ब्लास्ट केस(2008) में जिन आधारों पर साध्वी प्रज्ञा को जमानत दी है, उसी आधार पर उनको भी जमानत दी जानी चाहिए. गौरतलब है कि बांबे हाई कोर्ट ने कर्नल पुरोहित को जमानत देने से इनकार कर दिया था.
उल्लेखनीय है कि कर्नल पुरोहित ने याचिका में पेरिटी(समानता) के आधार पर जमानत मांगी है. याचिका में कर्नल पुरोहित ने कहा है कि वो आठ साल से जेल में बंद हैं. इस मामले में बोंबे हाईकोर्ट ने सही फैसला नहीं दिया है. हाई कोर्ट ने इसी आधार पर साध्वी प्रज्ञा को जमानत दे दी लेकिन उनको जमानत देने से इनकार कर दिया. इसलिए उन्हें भी समानता के आधार पर जमीनत दे दी जाए. याचिका में ये भी कहा है कि हाई कोर्ट ने सेना की कोर्ट आफ इंक्वायरी की रिपोर्ट पर गौर नहीं किया जिसमें कहा गया है कि वो सेना के लिए इंटेलीजेंस का काम करते थे.
उल्लेखनीय है कि 2008 के मालेगांव धमाका मामले में बांबे हाईकोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को 5 लाख के निजी मुचलके पर 25 अप्रैल को जमानत दे दी है. वहीं कर्नल पुरोहित की जमानत अर्जी खारिज कर दी है. इसके पहले जांच एजेंसी एनआईए साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को अपनी जांच में क्लीन चिट दे चुकी है बावजूद इसके ट्रायल कोर्ट साध्वी की जमानत खारिज कर चुकी है. एनआईए का दावा है कि साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ मुकदमा चलाने लायक सबूत नहीं है. इसकी वजह है मामले पर मकोका कानून का न बनना, जबकि ट्रायल कोर्ट ने अभी तक मकोका हटाने पर कोई फैसला नहीं दिया है.