काठमांडू। नेपाल के मधेसी फ्रंट ने संविधान संशोधन विधेयक को समर्थन देने से इनकार करते हुए कहा कि यह पक्षपातपूर्ण है और मौजूदा रूप में स्वीकार्य नहीं है। इससे प्रधानमंत्री प्रचंड के उन समूहों के साथ सुलह संबंधी प्रयासों को झटका लगा है, जो इस नए कानून का विरोध कर रहे हैं। यूनाइटेड डेमोक्रेटिक मधेसी फ्रंट (यूडीएमएफ) और फेडरल सोशलिस्ट फोरम-नेपाल (एफसीएफ-एन) ने अपने बयान में कहा है कि वो इस संविधान संशोधन विधेयक को स्वीकार नहीं कर सकते, जिसे संसद में नेपाली सरकार ने विपक्ष सीपीएन-यूएमएल के विरोध के बावजूद सूचिबद्ध कराया है। nepal madhesi
यूडीएमएफ ने एक बयान में कहा, ‘हम इस विधेयक को स्वीकार नहीं कर सकते, जिसे नेपाली सरकार ने संसद में एकतरफा ही सूचिबद्ध कराया है। हम इसे स्वीकार नहीं कर सकते हैं क्योंकि यह मधेसियों, जनजातियों और वंचित तबकों से जुड़े मुद्दों का समाधान नहीं देता है।’
यह बयान यूडीएमएफ के नेताओं, एफसीएफ-एन के अध्यक्ष उपेंद्र यादव, तराई मधेस डेमोक्रेटिक पार्टी के अध्यक्ष महंथ ठाकुर और तराई मधेस सद्भावना पार्टी-नेपाल के अध्यक्ष महेंद्र यादव की ओर से संयुक्त रूप से जारी किया है। यादव ने कहा, ‘तीनों मुख्य पार्टियां मधेसियों, जनजातियों और वंचित तबकों के साथ भेदभाव करना चाहती हैं।’ उन्होंने कहा कि यूडीएमएफ फिलहाल संघर्ष पर विचार कर रहा है चुनाव के बारे में भविष्य में सोचा जाएगा। यादव ने कहा कि प्रांतीय स्वायत्तता और 10-प्रांत मॉडल को विवादित मुद्दों की तरह देखा जा रहा है, वहीं तराई के जिलों झापा, मोरंग, सुनसारी, कैलाली और कंचनपुरा पर विचार किया जाना बाकी है। उन्होंने कहा कि अभी भी जातीय समूहों की जनसंख्या के आधार पर प्रतिनिधित्व का जिक्र विधेयक में नहीं है।