नयी दिल्ली। टाटा संस के निदेशक मंडल से झंझावतों में फंसे टाटा समूह को आज दिल्ली उच्च न्यायालय से जोर का झटका लगा। न्यायालय ने लुटियन जोन में स्थित ताज मानसिंह होटल की नीलामी को हरी झंडी दे दी। न्यायमूर्ति प्रदीप नन्दराजोग और न्यायामूर्ति प्रतिभा रानी की खंडपीठ ने ताज मानसिंह होटल की नीलामी के आदेश पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया। टाटा की अपील को ठुकराते हुए न्यायालय ने नयी दिल्ली नगर पालिका परिषद एनडीएमसी की नीलामी की इजाजत दे दी। hotel taj man singh
वर्ष 1976 के समझौते के तहत यह होटल चला रहे टाटा समूह को आगे लाइसेंस अपने पास रखने के लिए नीलामी में हिस्सा लेना होगा। होटल का संचालन टाटा समूह की सहायक कंपनी इंडियन होटल्स कंपनी लिमिटेड आईएचसीएल कर रही थी। कंपनी ने न्यायाधीश बी. कामेश्वर राव के होटल लाइसेंस के नवीनीकरण से इन्कार करने के खिलाफ अपील की थी। एनडीएमसी और आईएचसीएल के बीच 18 दिसम्बर 1976 को पंचतारा होटल बनाकर इसे संचालित करने का करार हुआ था। लुटियन जोन में स्थित होटल 10 अक्टूबर को शुरू हुआ। होटल चलाने का मूल लाइसेंस 33 साल के लिये थाए जो 2010 में खत्म हो गया। इसके बाद लाइसेंस की मियाद कई बार बढ़ाई गई । hotel taj man singh
ताज महल होटल की तरफ से न्यायालय में दलील देते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि परिषद ने मात्र छह करोड़ रुपये का निवेश किया है जबकि ताज ने 129 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश और 400 करोड़ रुपये से ज्यादा लाइसेंस फीस का भुगतान किया है। कंपनी का कहना था कि टाटा समूह के पास होटल के नवीकरण का अधिकार है और परिषद को इसके लिये अवश्य बात करनी चाहिए। न्यायालय ने 24 अक्टूबर को इस मामले पर फैसला सुरक्षित रखा था।