नयी दिल्ली। सरकार के कालेधन के खुलासे की योजना के तहत 64,275 लोगों ने 65,250 करोड़ रुपये की अघोषित संपत्ति की घोषणा की है जिससे सरकारी खजाने में 29367 करोड़ रुपये आयेगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कल मध्य रात्रि में बंद हुयी इस योजना के आँकडे यहाँ एक प्रेस वार्ता में जारी करते हुये कहा कि यह कोई इम्युनिटी स्कीम नहीं था और इसके तहत अघोषित संपत्ति या आय पर जुर्माना सहित 45 प्रतिशत कर लगाया गया था। income declaration scheme
उन्होंने कहा कि 64275 लोगों ने 65250 करोड़ रुपये की अघोषित संपत्ति का खुलासा किया है। यह योजना कल रात में बंद हुयी है और इसके लिए ऑनलाइन एवं कागजी दोनों तरह से आवेदन करने की व्यवस्था की गयी थी। इसलिए अभी आवेदनों को एकत्रित करने का काम चल रहा है। अभी जो आँकडे दिये गये हैं वे प्रारंभिक हैं और अंतिम आंकडे केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) जारी करेगा, तब पूरी जानकारी मिलेगी। उन्होंने बताया कि आय घोषणा योजना 2016 की शुरुआत 01 जून को की गई थी तथा कल इसका आखिरी दिन था। इस योजना के तहत कालाधन घोषित करने वालों के नाम सार्वजनिक करने की प्रतिबद्धता को दोहराते हुये उन्होंने कहा कि सिर्फ कुल आँकडे जारी किये जा रहे हैं और किसी राज्य या सबसे अधिक कालाधन का खुलासा करने वालों के बारे में नहीं बताया जा सकता है। इसके तहत अघोषित आय/संपत्ति के वर्तमान बाजार मूल्य का 45 प्रतिशत कर एवं जुर्माने के रूप में देना होगा। income declaration scheme
गौरतलब है कि सरकार ने पिछले साल इसी तरह की एक योजना विदेशों में रखी अद्योषित संपत्ति के खुलासे के लिए भी जारी की थी। हालांकि, उस योजना में ज्यादा सफलता नहीं मिली। उसमें 644 लोगों ने विदेशों में अपनी आय और संपत्ति की घोषणा की जिससे सरकार को 2,428 करोड़ रुपए का कर प्राप्त हुआ। वर्ष 1997 में कालेधन की घोषणा के लिए तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने स्वैच्छिक आय घोषणा योजना जारी की थी जिसमें सरकार को 9,760 करोड़ रुपए का कर मिला। जेटली ने कहा, ‘वर्ष 1997 में योजना से 9,760 करोड़ रुपए का कर जुटाया गया।’ हालांकि, उन्होंने कहा कि उस समय की योजना और आईडीएस योजना की तुलना नहीं की जा सकती है क्योंकि ये दोनों योजनाएं अलग-अलग हैं। income declaration scheme
जेटली ने कहा कि स्वैच्छिक आय घोषणा योजना (वीडीआईएस) पूरी तरह से माफी योजना थी जबकि इस साल लाई गई आईडीएस में 45 प्रतिशत की दर से कर और जुर्माना लगाया गया है। इसके विपरीत 1997 की योजना में कर की प्रभावी दर इकाई अंक में थी। जेटली ने इसके साथ ही पिछले दो साल के दौरान बिना हिसाब किताब वाली राशि का पता लगाने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आयकर विभाग की जांच पड़ताल और छापों में 56,378 करोड़ रुपए पकड़े गये जबकि 16,000 करोड़ रुपए की राशि रिटर्न दाखिल नहीं करने वालों से मिली है।
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