प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस सहित 19 विपक्षी राजनीतिक दलों ने संसद की नई इमारत के उद्घाटन समारोह के बहिष्कार का फैसला किया है। इन राजनीतिक दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह के बहिष्कार का ऐलान किया है।
इन विपक्षी दलों ने एक साझा बयान में कहा है कि नई संसद भवन के उद्घाटन के अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी को पूरी तरह से दरकिनार करना न केवल महामहिम का अपमान है बल्कि लोकतंत्र पर सीधा हमला भी है। बयान में आगे कहा गया है कि जब लोकतंत्र की आत्मा को ही संसद से निष्कासित कर दिया गया है, तो हमें नई इमारत में कोई मूल्य नहीं दिखता। हम नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने के अपने सामूहिक निर्णय की घोषणा करते हैं।
कांग्रेस ने सभी दलों से बात की थी और 19 दलों ने साझा तौर पर 28 मई को होने वाले इस उद्घाटन समारोह के बहिष्कार का फैसला लिया है।
संसद की नई इमारत के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने वाले राजनीतिक दलों में कांग्रेस सहित आम आदमी पार्टी, शिवसेना (उद्धव ठाकरे), एनसीपी, तृणमूल कांग्रेस, डीएमके, समाजवादी पार्टी, सीपीआई, सीपीएम, मुस्लिम लीग, जेएमएम, केरल कांग्रेस (एम), वीसीके, आरजेडी, आरएलडी, आरएसपी, नेशनल कांफ्रेंस, जेडीयू और एमडीएमके ने अपनी सहमति जताई है।
राष्ट्रपति से संसद का उद्घाटन न करवाना और न ही उन्हें समारोह में बुलाना – यह देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद का अपमान है।
संसद अहंकार की ईंटों से नहीं, संवैधानिक मूल्यों से बनती है।
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 24, 2023
कांग्रेस महासचिव के सी वेणुगोपाल ने एक ट्वीट के माध्यम से उन्होंने कहा कि- “राष्ट्रपति से संसद का उद्घाटन न करवाना और न ही उन्हें समारोह में बुलाना – यह देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद का अपमान है। संसद अहंकार की ईंटों से नहीं, संवैधानिक मूल्यों से बनती है।”
कांग्रेस महासचिव ने इस सम्बन्ध में बोलते हुए स्पष्ट किया कि कांग्रेस ने सभी दलों से बातचीत की थी और उन्हें खुशी है कि सभी दलों ने साझा तौर पर 28 मई को होने वाले इस उद्घाटन समारोह के बहिष्कार का फैसला लिया है।
19 विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति के अपमान का हवाला देते हुए नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार किया #नयासंसदभवन #नरेंद्रमोदी #विपक्षीदल #NewParliamentBuilding #OppositionPartieshttps://t.co/0SR58rjYxE
— द वायर हिंदी (@thewirehindi) May 25, 2023
राज्यसभा सदस्य और आरजेडी नेता मनोज झा ने विपक्ष द्वारा इस समारोह के बहिष्कार को जरूरी बताया और कहा कि जब आज से 20-25 साल बाद इस विषय पर चर्चा होगी तो लोगों को पता चलेगा कि कौन से दल संवैधानिक मर्यादाओं और परंपराओं के साथ खड़े थे। अपनी बात में उन्होंने ये भी कहा कि इतिहास सबकुछ याद रखता है और यह भी याद रखा जाएगा कि किस तरह राष्ट्रपति पद का अपमान किया गया है।
एनसीपी और शिवसेना (उद्धव ठाकरे) ने भी खुद को अन्य समान विचारधारा वाले दलों के साथ बताते हुए विपक्ष का साथ दिया है। सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने भी अपनी सहमति देते हुए स्पष्ट किया कि संसद की बैठक तभी हो सकती है जब राष्ट्रपति इसे बुलाएं। आगे उन्होंने कहा कि संसद का काम हर साल राष्ट्रपति के अभिभाषण और उनके अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के बाद ही शुरु होता है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी द्वारा इन परंपराओं की अवहेलना की बात कही है।