द्वितीय विश्व युद्ध के 98 वर्षीय योद्धा एंथोनी साइमन ने आखिरकार हाईस्कूल पास कर लिया है। डिप्लोमा समारोह का आयोजन एंथनी की पोती द्वारा किया गया था, जो क्रैन्स्टन के एक प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाती है।
लड़ाई में हिस्सा लेने वाले एंथोनी के पास अब एक आधिकारिक हाईस्कूल डिप्लोमा है। युद्ध से लौटने के बाद उन्होंने अपना यह सर्टिफिकेट क्रैंस्टन हाई स्कूल ईस्ट की बदौलत हासिल किया।
युद्ध से वापसी उनके लिए नरक से बाहर आने जैसा था। बाहर आकर उन्होंने एक नया जीवन शुरू किया। अपनी GED की डिग्री प्राप्त की और न्यू इंग्लैंड इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से प्रशिक्षण प्राप्त किया, फिर आजीवन मशीनिस्ट के रूप में काम किया, जहाँ से वह 1991 में सेवानिवृत्त हुए।
उन्होंने 1951 में वर्जीनिया से विवाह भी किया और दो बच्चों की परवरिश की। इसके बावजूद उन्होंने हमेशा कुछ कमी सी महसूस की। दरअसल उन्हें कागज का वह छोटा सा टुकड़ा चाहिए था, जिस पर लिखा हो कि उन्होंने स्नातक की उपाधि प्राप्त कर ली है।
“यह बहुत अच्छा लगता है क्योंकि मैं एक बहिष्कृत व्यक्ति की तरह था,” सिमोन ने कहा। “मेरे आस-पास के सभी लोगों के पास डिप्लोमा था, और मेरे पास नहीं था।”
मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उन्हें इस तरह सम्मानित किया जाएगा। पिछले सप्ताह डिप्लोमा के लिए एक समारोह में उन्हें देखने के लिए क्रैन्स्टन हाई स्कूल ईस्ट जिम में उनके सभी क़रीबी जमा हुए।
साइमन का जन्म 1926 में जुलाई की चार तारीख को हुआ था और उन्हें जंग में बहादुरी के बदले कांस्य पदक दिया गया। लेकिन उन्होंने कभी युद्ध के बारे में ज़्यादा बात नहीं की। उनकी बेटी डियाना ने उनकी युद्ध से बेदिली के बारे में प्रोविडेंस जर्नल को बताया- “मुझे नहीं लगता कि वह इसे दोबारा जीना चाहते थे।”
रोड आइलैंड के मूल निवासी एंथोनी साइमन ने अपने परिवार को सहयोग देने के लिए 16 साल की उम्र में हाई स्कूल छोड़ दिया था। इसके बाद 17 साल की उम्र में वह द्वितीय विश्व युद्ध में लड़ने के लिए अमरीकी सेना में शामिल हो गए।
18 वर्षीय पैदल सैनिक ने 14वें बख्तरबंद डिवीजन के हिस्से के रूप में बर्फ और ठंड में महीनों बिताए, फ्रांस और जर्मनी के रास्ते से मार्च किया और बुलगे की खतरनाक लड़ाई (Battle of the Bulge) में लड़ाई में हिस्सा लिया।