हमारे लाइफ स्टाइल का हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य से बेहद गहरा संबंध है। डॉक्टरों का कहना है कि मोटा शरीर तमाम बीमारियों को न्यौता देता है।
ज्यादातर लोग इस बात से बेखबर होते हैं कि स्वस्थ जीवन के लिए किस तरह के खाद्य पदार्थों की आवश्यकता होती है और अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थों के सेवन से वे विभिन्न जैविक बीमारियों के अलावा अवसाद से भी ग्रस्त हो जाते हैं।
शोध के हवाले से मानसिक विकारों की रोकथाम और उपचार में उचित रूप से संतुलित आहार की भूमिका का सुझाव दिया गया है, जबकि सब्जियों और फलों में पोषक अच्छी मात्रा में होते है जो अवसाद के मामले में महत्वपूर्ण हो सकती है।
अच्छे भोजन के रूप में जब शरीर को अच्छा ईंधन मिलता है, तो शरीर के साथ-साथ दिमाग भी बेहतर काम करता है। अमरीकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन के अनुसार, दालें, मछली, फल और सब्जियों का अधिक सेवन अवसाद के खतरे को कम करने में मदद कर सकता है।
शोधकर्ता एक दिन में अपने आहार का कम से कम पांचवां हिस्सा फल और सब्जियां खाने की बात करते हैं। ऐसा करने को वह मानसिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद बताते हैं।
ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न विश्वविद्यालय में हुए एक अध्ययन के अनुसार अवसाद के कारकों को नियंत्रित करने के लिए वातावरण और आदतों में बदलाव करना जरूरी है और इन आदतों में सबसे महत्वपूर्ण है खान-पान।
शोधकर्ताओं का कहना है कि उनके निष्कर्ष बताते हैं कि फल सब्जियां, और और दालें मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालती हैं। इसलिए एक दिन में अपने आहार का कम से कम 5 भाग फल और सब्जियां खाने की सामान्य सिफारिश मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद हो सकती है।
शोध के अनुसार, डिप्रेशन से पीड़ित लोगों के लिए यह जानना ज़रूरी है कि अवसाद को कम करने या रोकने के लिए उन्हें किन खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए और किन खाद्य पदार्थों को अपने आहार में शामिल करना चाहिए।
अध्ययन का उद्देश्य वयस्कों में फल और सब्जी के सेवन और मानसिक स्वास्थ्य के बीच संबंध का विश्लेषण करने वाले अवलोकन संबंधी अध्ययनों की एक व्यवस्थित समीक्षा करना था।
हालांकि, अध्ययन विभिन्न पद्धतियों का उपयोग करके और विभिन्न आबादी में किए गए थे, इसलिए उनके परिणाम हमेशा पर्याप्त रूप से तुलनीय नहीं थे, या कह सकते हैं कि इसकी एक सीमा है।