यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन द्वारा किए गए शोध में कहा गया है कि सोशल मीडिया के आदी लोगों को उनके मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए थेरेपी दी जानी चाहिए।
शोध में सोशल मीडिया के कारण मानसिक समस्याओं से जूझ रहे लोगों के नजरिए पर विचार किया गया।
शोध से पता चला है कि जिन लोगों ने सोशल मीडिया के उपयोग को सीमित किया, उन्हें अवसाद, चिंता और अकेलेपन की समस्या और बढ़ गई।
सोशल मीडिया उस समय एक बड़ी समस्या बन जाता है जब यूज़र इसके उपयोग में तल्लीन होकर अपनी जिम्मेदारियाँ भूल जाता है या दैनिक गतिविधियों को पूरा करने में उसे कठिनाइहोती है।
इस समस्या से बचाव के लिए शोधकर्ताओं का मानना है कि सोशल मीडिया का पूरी तरह से उपयोग न करने से बेहतर तरीका ये है कि इसका उपचार किया जाए।
इससे पहले इस सम्बन्ध में अमेरिकी सर्जन जनरल डॉ. विवेक मूर्ति युवाओं पर सोशल मीडिया के उपयोग के प्रभावों पर एक नई सलाह जारी कर चुके हैं।
इसमें कहा गया है कि युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर राष्ट्रीय संकट की स्थिति बनी हुई है। वह कहते हैं कि सोशल मीडिया वातावरण को स्वस्थ और सुरक्षित बनाने के लिए किये जाने वाले प्रयासों को सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।
सोशल मीडिया एक बड़ी समस्या बन जाता है जब कोई व्यक्ति इसके उपयोग में इतना तल्लीन हो जाता है कि वह अपनी जीवन की जिम्मेदारियाँ भूल जाता है या दैनिक गतिविधियों को पूरा करने में उसे कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
शोधकर्ताओं ने 2004 से 2022 तक दुनिया भर के 2,700 से अधिक अध्ययनों को आधार बनाकर नया शोध संकलित किया।