एक नए अध्ययन से पता चला है कि शरीर पर टैटू बनवाने से लिंफोमा का खतरा 21 प्रतिशत बढ़ जाता है।
लिंफोमा एक प्रकार का रक्त कैंसर है जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करता है। दुनिया भर में टैटू की बढ़ती लोकप्रियता के साथ घातक लिंफोमा की घटनाएं बढ़ रही हैं।
स्वीडन में लुंड विश्वविद्यालय में किए गए एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने टैटू और लिंफोमा के बीच संबंध निर्धारित करने के लिए दोनों कारकों की पड़ताल की।
विश्वविद्यालय के अध्ययन के प्रमुख लेखक क्रिस्टल नेल्सन बताते हैं कि अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने लिंफोमा (लसीका तंत्र का कैंसर) से पीड़ित लोगों को भर्ती किया और उनकी तुलना उन लोगों से की जिन्हें यह बीमारी नहीं थी।
प्यू रिसर्च सेंटर के अनुसार, 32 प्रतिशत अमेरिकी वयस्कों के पास एक टैटू है और 22 प्रतिशत के पास एक से अधिक टैटू हैं। एनएचएल अमरीका में सबसे आम कैंसरों में से एक है और यह किसी भी उम्र में हो सकता है।
इन प्रतिभागियों नेअध्ययन के दौरान उनकी जीवनशैली से जुड़ी एक प्रश्नावली भरी जिसका मकसद यह जानना था कि इन लोगों ने टैटू गुदवाया है या नहीं।
लसीका तंत्र प्रतिरक्षा प्रणाली का हिस्सा है। यह प्रणाली शरीर के तरल पदार्थों के बीच संतुलन बनाए रखती है और संक्रमण से बचाती है।
लसीका प्रणाली को प्रभावित करने वाले कैंसर के दो प्रमुख प्रकार हैं। एक गैर-हॉजकिन लिंफोमा (एनएचएल), जो सभी लिंफोमा रोगियों में से 90 प्रतिशत को प्रभावित करता है और दूसरा हॉजकिन का लिंफोमा। एनएचएल के 40 उपप्रकार हैं जो उनकी वृद्धि और प्रसार के अनुसार भिन्न-भिन्न हैं।
शोध से जुड़े वैज्ञानिकों ने कहा कि अध्ययन का उद्देश्य लोगों को टैटू बनवाने से रोकना नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि यह तरीका कितना सुरक्षित है।