मुंबई : उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किसानों को कर्जमाफी के आदेश के बाद उसका प्रमुख असर महाराष्ट्र की राजनीति पर दिख रहा है. Sharad pawar
राज्य में विपक्ष इस मौके पर सरकार विरोधी आंदोलन के लिए एकजुट होता दिख रहा है, जिसमें एनसीपी मुखिया और पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने किसानों को आक्रामक होने को कहा है.
कर्जमाफी की प्रमुख मांग लेकर राज्य में चली संघर्ष यात्रा पनवेल में मंगलवार को खत्म हुई.
उस समय सभा को संबोधित करते हुए शरद पवार ने कहा कि किसानों को सरकार का जीना हराम कर देना चाहिए.
इस मौके पर शरद पवार के भतीजे और एनसीपी विधायक अजीत पवार ने राज्य सरकार को किसान कर्जमाफी के मुद्दे पर 3 दिन का अल्टीमेटम दिया है.
खास बात है कि महाराष्ट्र में बीजेपी के साथ सत्ता में भागीदार शिवसेना भी किसान कर्जमाफी के मुद्दे पर विपक्ष के साथ हो चली है.
शिवसेना पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कर्ज़माफ़ी के ऐलान के बाद प्रेस नोट प्रसारित कर उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का अभिनंदन किया. साथ ही उद्धव यह बताने से नहीं चूके कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को भी उसी राह पर चलना चाहिए.
हालांकि देवेंद्र फडणवीस ने आज ट्वीट करके कहा है कि उन्होंने वित्त सचिव को उत्तर प्रदेश के किसान कर्ज़माफ़ी पैकेज का अध्ययन करने को कहा है.
वित्त सचिव यूपी के पैकेज का अध्ययन कर बताएंगे कि महाराष्ट्र के लिए यह कितना फिजिबल है. यही नहीं देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि पहले दिन से जबसे हमारी सरकार बनी हम किसानों की मदद में लगे हैं.
इससे पहले देवेंद्र साफ कर चुके थे कि कर्जमाफी के बजाय किसानों को कर्ज़ चुकाने के लिए सक्षम बनाने पर उनकी सरकार जोर दे रही है. राज्य के 1 करोड़ 8 लाख किसानों का करीब 30 हजार 500 करोड़ रुपये कर्ज़ बकाया है.
इसे अगर केवल राज्य अपनी तिज़ोरी से चुकता करेगा तो विकास कामों के लिए सरकार के पास पैसा नहीं बचेगा. लेकिन लगता है विपक्ष का दबाव काम आ रहा है इसलिए देवेंद्र फडणवीस ने कर्ज माफी की तैयारी की बात कही.
वर्ष 2010 से 2014 के बीच कई बार कर्ज़माफ़ी होने के बावजूद महाराष्ट्र में 16 हजार किसानों ने आत्महत्याएं करने का सरकारी आंकड़ा उपलब्ध है.