नई दिल्ली : यूपी विधानसभा चुनाव में बीजेपी को बंपर जीत मिलती नजर आ रही है. 2014 के बाद एक बार फिर यूपी की जनता ने पीएम मोदी पर अपना भरोसा जताया है. Result
जबकि सीएम अखिलेश यादव और कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के साथ को पूरे तरीके से नकार दिया.
मायावती की सोशल इंजीनियरिंग भी यूपी में उनकी जमीन वापसी के इरादों को साकार नहीं कर सकी. यूपी में अखिलेश यादव ने पूरे प्रचार के दौरान केवल विकास को मुद्दा बनाया.
वहीं पीएम मोदी ने विकास के साथ अखिलेश सरकार की नाकामी को जनता के सामने रखा. मोदी ने यूपी की जनता से अपने काम गिनाए,साथ ही नए वादों-इरादों का भी खूब बखान किया.
यह मोदी सरकार का ऐसा फैसला था जो आजादी के बाद देश का सबड़े बड़ा फैसला माना गया. नोटबंदी के बाद पूरे देश की जनता बैंकों और एटीएम के बाहर लाइन में लगी.
कई इलाकों से लोगों की मौत की खबरें आईं. विपक्षी दल मोदी सरकार के इस फैसले के खिलाफ सड़कों तक उतर आए. यूपी में चुनाव प्रचार के दौरान विपक्षी दलों ने नोटबंदी को बड़ा मुद्दा बनाया.
एक तरफ सीएम अखिलेश यादव से लेकर राहुल गांधी और मायावती तक नोटबंदी से हुए नुकसान गिनाते रहे. तो दूसरी तरफ मोदी सरकार और उनकी पूरी कैबिनेट नोटबंदी के फायदे गिनाते रहे.
मोदी अपनी ब्रिगेड के साथ जनता को ये यकीन दिलाने में कामयाब रहे कि नोटबंदी का फैसला कालाधन वापस लाने के लिए किया गया. ये संदेश पहुंचाने में भी मोदी कामयाब रहे कि नोटबंदी की चोट सिर्फ उन्हीं पर हुई जिन्होंने भ्रष्टाचार के जरिए पैसा जमा किया.
पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने अपनी चुनावी रैलियों में कानून-व्यवस्था को बड़ा मुद्दा बनाया. यूपी में दंगों की घटनाएं हों या महिलाओं से रेप की घटनाएं, बीजेपी ने हर जगह बिगड़ती कानून व्यवस्था पर चोट की. पीएम मोदी ने अपनी हर रैली में थानों को सपा कार्यालय तक कहा.
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