सोमवार को विपक्षी दलों ने राज्यसभा में आम आदमी के लिए ट्रेन सुविधाएं बढ़ाए जाने की आवश्यकता पर जोर दिया साथ ही बढ़ती ट्रेन दुर्घटनाओं की संख्या पर भी इन दलों ने चिंता जताई है।
रेलवे मंत्रालय पर चर्चा में बहुजन समाज पार्टी के रामजी का कहना था कि रेलवे देश के लिए जीवनरेखा के रूप में काम करती है। उन्होंने बताया कि प्रतिदिन देश में दो से ढाई करोड़ लोग यात्रा कर रहे हैं। ऐसे में यात्रियों की सुविधाएं बढ़ाने के साथ उन्होंने आमदनी बढ़ाने के उपायों पर सरकार के दायित्व की बात कही। साथ ही बसपा के एक सदस्य ने गरीबों के लिए वंदे भारत ट्रेन शुरू किए जाने का सुझाव भी दिया।
झारखंड मुक्ति मोर्चा के सरफराज अहमद ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि रेल मंत्री को अपना ध्यान गरीबों एवं किसानों पर केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार का जोर केवल नयी ट्रेनों पर ही नहीं होना चाहिए बल्कि पुरानी ट्रेनों में सुख सुविधाएं बढ़ाने पर भी ध्यान देना चाहिए।
रेल बजट को आम बजट में मिला देने को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने सरकार की एक भारी भूल बताया। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के पी पी सुनीर ने कहा कि सरकार को ध्यान देना चाहिए कि देश में ट्रेन दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ती जा रही है।
उच्च सदन में रेलवे पर बोलते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के पी पी सुनीर का कहना था कि रेल बजट को आम बजट में मिला देना सरकार की एक भारी भूल थी। इसके साथ ही उन्होंने देश में ट्रेन दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या के हवाले से सरकार की जवाबदेही की ओर ध्यान दिलाया।
इस संबंध में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की फौजिया खान ने वंचित भारत के प्रति सहानुभूति दिखायी जाने की बात कही। उनका कहना था कि हम विकसित भारत की बात करते हैं किंतु हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि एक वंचित भारत है जो साधारण ट्रेनों के खचाखच भरे डिब्बों में चलता है।
अपने वक्तव्य में तृणमूल कांग्रेस के रीताव्रत बनर्जी ने गैर भाजपा शासित राज्यों के लिए रेलवे बजट के लगभग उपेक्षित रहने की बात कही। उनका कहना था कि इस बार भी ऐसे राज्यों के रेल बजट में कटौती हुई जिनमें पश्चिम बंगाल भी शामिल है जिसके रेल बजट में 5.6 फीसदी की कमी की गई है।
उनका आरोप था कि ममता बनर्जी जिस समय रेल मंत्री थीं उस वक़्त उन्होंने पत्रकारों के लिए रेलवे में रियायती यात्रा की एक योजना शुरू की थी लेकिन कोविड काल में केंद्र सरकार ने इस योजना को बंद कर दिया। उन्होंने इसे फिर से शुरु करने की बात कही।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के ए ए रहीम का कहना था कि अक्तूबर 2024 में एक आदेश जारी कर बाहर निकाले गये कर्मचारियों को अनुबंध पर रखा गया है। देश के युवाओं के लिए इस आदेश को उन्होंने बहुत निराशाजनक बताने के साथ इसे वापस लिये जाने की मांग की।
यात्रियों एवं रेल कर्मियों की सुरक्षा के लिए समुचित उपाय के मुद्दे पर अपनी बात में उन्होंने भारतीय रेलवे की लापरवाही के चलते पिछले पांच साल में 361 कर्मचारियों की पटरियों पर होने वाली मौत का ज़िक्र किया।
असम की विभिन्न परियोजनाओं का उल्लेख करते हुए निर्दलीय अजीत कुमार भुइयां ने कहा कि इनके पूरा होने में बहुत अधिक समय लगने की बात कही। साथ ही उन्होंने राज्य की विभिन्न रेलवे लाइनों के दोहरीकरण की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
भुइयां पिछले साल भी डिब्रूगढ़ की रेलवे परियोजना का मुद्दा सदन में उठाए जाने की बात कही जिस पर अभी भी कुछ नहीं किया गया है।
चर्चा में हिस्सा लेते हुए तमिल मनीला कांग्रेस (एम) के जी के वासन ने तमिलनाडु के विभिन्न तीर्थस्थलों को देश के अन्य तीर्थस्थलों से जोड़ने के लिए ट्रेनें चलाने की मांग की। उनका कहना था कि आज देश में रेलवे नेटवर्क का आधुनिकीकरण तेज गति से चल रहा है ताकि यात्रियों को मिलने वाली सुविधाएं बढ़ सकें। उन्होंने कहा कि आज देश इस बात की प्रतीक्षा कर रहा है कि बुलेट ट्रेन कब चलना शुरू होगी ताकि भारत विकसित देशों की तरह अपने लोगों को यह सुविधा दे सके।