नई दिल्ली : नोटबंदी के बाद बैंकों में पुरानी करेंसी डिपॉजिट के विषय में 18 लाख लोगों से इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने सफाई मांगी थी. operation
7 लाख लोगों से जवाब मिलने के बाद अब जब सफाई की मियाद खत्म हो चुकी है टैक्स विभाग के फंदे में 9 लाख लोग हैं.
इन लोगों के खिलाफ अगली कारवाई के लिए तैयारी की जा रही है.
8 नवंबर को नोटबंदी के बाद बैंकों में पुरानी करेंसी डिपॉजिट के विषय में 7 लाख लोगों ने इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को सामने सफाई दी है.
नोटबंदी के बाद संदिग्ध बैंक डिपॉजिट के लिए जांच दायरे में आए 18 लाख लोगों को भेजे गए एसएमएस और ई-मेल के जरिये सवाल पूछे गए थे. जवाब के लिए डिपार्टमेंट ने 15 फरवरी की डेडलाइन दी थी.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि बैंक जमा पर प्राप्त सात लाख जवाबों में मिले आंकड़ों में से 99 प्रतिशत सही मिले हैं. इनकम टैक्सै डिपार्टमेंट द्वारा बैंक डिपॉजिट पर ईमेल और एसएमएस से भेजे गए सवालों का जवाब नहीं देने वालों को गैर-सांविधिक पत्र भेजे गए हैं.
सूत्रों के मुताबिक इनकम टैक्सज डिपार्टमेंट ने 9 लाख खाताधारकों को संदिग्ध कैटेगरी में रखा है. इनके खिलाफ कार्रवाई नई टैक्सक छूट योजना की अवधि समाप्त होने के बाद की जाएगी. नई टैक्स छूट योजना की अवधि 31 मार्च को पूरी हो रही है.
गौरतलब है कि इनकम टैक्स विभाग ने नोटबंदी के दौरान पांच लाख रुपए से अधिक की बैंक डिपॉजिट करवाने वाले 18 लाख लोगों को अपने ऑपरेशन क्लीन मनी के तहत एसएमएस तथा ईमेल भेजे थे. सभी खाताधारकों से डिपॉजिट और सोर्स के बारे में सफाई देने के लिए 15 फरवरी तक का समय दिया गया था.
केन्द्र सरकार ने 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी की घोषणा करते हुए आधी रात से 500 और 1000 रुपये की प्रचलित करेंसी को अमान्य घोषित कर दिया था.
इसके बदले 2000 रुपए की नई करेंसी का संचालन किया गया. हालांकि कुछ दिनों बाद 500 रुपये की नई करेंसी भी बाजार में उतार दी गई थी.