मणिपुर की हिंसा पर पक्ष और विपक्ष की जारी रस्साकशी के बीच बुधवार को इसका बेहतर रास्ता सामने आया। कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया था, जिसे लोकसभा अध्यक्ष ओम बिडला ने मंज़ूर कर लिया है।
उम्मीद की जा रही है कि इस पर अगले सप्ताह लोकसभा में बहस होगी। गृह मंत्री अमित शाह ने इस मामले में नेता प्रतिपक्ष को चिट्ठी लिखकर कहा था कि हम मणिपुर पर बहस करना चाहते हैं, कृपया सहयोग कीजिए।
जवाबी चिट्ठी में कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खडगे ने तंज़ करते हुए कहा था कि सुबह प्रधानमंत्री विपक्ष की तुलना ईस्ट इंडिया कंपनी और आतंकवादियों से करते हैं और शाम को गृहमंत्री हमें भावुक चिट्ठी लिखते हैं।
सरकार की कथनी और करनी में अंतर बताते हुए कांग्रेस प्रमुख ने इसे भाजपा का दोहरा चरित्र बताया है।
#WATCH हमारी मांग थी कि प्रधानमंत्री खुद आकर बोले। पता नहीं क्यों प्रधानमंत्री नहीं बोल रहे हैं। हमें मजबूरन अविश्वास प्रस्ताव लाना पड़ा। ये हमारी मजबूरी है। हम जानते हैं कि इससे सरकार नहीं गिरेगी, पर हमारे पास कोई चारा नहीं है। देश के प्रधानमंत्री देश के सामने आकर मणिपुर पर कोई… pic.twitter.com/BkvrqeFLp9
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 27, 2023
मणिपुर मुद्दे पर मानसून सत्र की शुरुआत के साथ ही संसद में हंगामा भी शुरू हो गया था। विपक्ष इस मामले में लगातार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसद में आकर बयान देने की माँग कर रहा था।
विपक्ष की मांग के बावजूद प्रधानमंत्री का ने मामले पर बयान नहीं दिया। अब अविश्वास प्रस्ताव पर विपक्ष और सत्ता पक्ष के अधिकतर नेता अपने बयान दे पाएँगे और प्रधानमंत्री भी इस चर्चा का जवाब दे पाएँगे।
दो महीने से ज़्यादा हो गए हैं… मणिपुर जल रहा है, लोग मर रहे हैं, खुलेआम गोलियां चल रही हैं, महिलाओं की अस्मिता के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है, लेकिन हमारे देश के प्रधानमंत्री अब भी कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।
ऐसे में #Opposition की तरफ़ से अविश्वास प्रस्ताव मत के मायने क्या… pic.twitter.com/pC753ctcxE
— NewsClick (@newsclickin) July 26, 2023
हालाँकि अविश्वास प्रस्ताव सत्तादल के लिए खतरे का संकेत देती है मगर मौजूदा सरकार के पास पर्याप्त बहुमत है। इस प्रस्ताव से बना हुआ गतिरोध समाप्त होगा और सत्ता पक्ष – विपक्ष के नेता मामले पर अपनी बात सदन में रख सकेंगे।